झारखंड
कुर्सी बचाने में जुटे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भगत
By Deshwani | Publish Date: 1/6/2017 5:25:17 PMरांची, (हि.स.)। झारखंड में कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव को लेकर चल रही अटकलों के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत की सक्रियता बढ़ गयी है। भगत ने बुधवार को दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के जिलाध्यक्षों के साथ बैठक की, इसमें रघुवर सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 06 जून को धिक्कार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। उस दिन दक्षिणी छोटानागपुर के सभी 53 प्रखंड मुख्यालयों में छोटा नागपुर संथाल परगना–काश्तकारी कानून (सीएनपी-एसपीटी) में संशोधन और स्थानीय नीति के विरोध में प्रदर्शन किया जायेगा। हालांकि उक्त बैठक में प्रदेश के किसी अन्य बड़े नेता की मौजूदगी नहीं थी।
दरअसल राज्य में रघुवर सरकार के गठन के बाद से ही भगत के नेतृत्व में कमी आ गयी और राजनीतिक तौर पर उनकी गतिविधियां शिथिल होती गई। इससे पार्टी के अन्दर गुटबाजी बढ़ी है और कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संगठन को धार देने में नाकाम साबित हो रहे हैं। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी एक साथ बैठा पाने में विफल रहे हैं। प्रदेस कांग्रेस की बैठकों में पार्टी के सभी विधायक भी एक साथ नहीं बैठते हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि भगत पार्टी में जान फूंकने में असफल नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि खेमे में बंटे कांग्रेस के नेता दिल्ली दरबार में भगत को हटाने की मुहिम चला रहे हैं।
दिल्ली से रांची तक नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बुलावे पर दिल्ली गए प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने एक-दूसरे की टांग खिंचने में कोई कसर नहीं उठा रखी। नए प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार नेताओं ने राहुल गांधी के समक्ष ही एक-दूसरे की राह में रोड़े अटकाये। इसे लेकर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व झारखंड में संगठन में बदलाव को लेकर दुविधा में है। वैसे फिलहाल पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोतकांत सहाय दौड़ में सबसे आगे हैं। विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और राज्यसभा सांसद प्रदीप बलमुचु भी अपने जुगाड़ में लगे हुए हैं। इस बीच सुखदेव भगत भी अपनी कुर्सी बचाने में जुट गये हैं। हाल में बढ़ी भगत की राजनीतिक सक्रियता की यही वजह है।