दरभंगा
समाज में समरसता व शांति स्थापित करने के लिए गाँधी के दर्शन आज भी प्रासंगिक : कुलपति
By Deshwani | Publish Date: 30/1/2018 7:50:40 PM दरभंगा, (हिं.सं)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि समाज में समरसता और शांति स्थापित करने के लिए महात्मा गाँधी के दर्शन आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने मंगलवार को महात्मा गाँधी सदन में शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गाँधी वैचारिक रूप से हमारे बीच सदैव जीवंत रहेंगे। गाँधी जी अपने विचारों को व्यवहार में लाते थे। वे समाज के सबसे निचले पायदान के व्यक्ति के प्रति काफी संवेदनशील थे। उनका मानना था कि समाज का सबसे निचले पायदान का व्यक्ति जबतक आगे नहीं बढ़ेगा समाज का सही अर्थों मे विकास संभव नहीं है। उन्होंने आह्वान किया कि अगर आज हम गाँधी के विचारों का आत्मसात नहीं करते हैं, तो देश का सही अर्थो में विकास नहीं होगा।
इस अवसर पर ललित नारायण मिश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.जय गोपाल ने कहा कि गाँधी के सपनों का भारत बनाने की आवश्यकता है। उनका मानना था कि भारत गाँवों में बसता है। जबतक गाँव आत्मनिर्भर नहीं होगा देश का सही अर्थों में विकास नहीं होगा। गाँधी जी हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा के प्रतीक थे। हमें आत्मंथन करना है कि हम उनकी शिक्षा पर चल रहें हैं या नहीं ? उन्होंने कहा कि अहिंसा के पुजारी गाँधी हिंसा के शिकार हुए। आज देश बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा है। छोटी-छोटी बात पर लोग हिंसक हो जाते है। इस कार्यक्रम को औपचारिकता में ना ले कर गाँधी के दर्शन पर चलने का संकल्प लें।
समारोह के मुख्य वक्ता तथा हिन्दी विभाग के अवकाश प्राप्त पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो- प्रभाकर पाठक ने कहा कि ह्दय में बसे हुए व्यक्ति कभी दूर नहीं होते हैं। बापू का मानना था कि जब तक व्यक्ति समय से नहीं जगेगा, अर्थ संचय नही करेगा तथा वचन का संयम नहीं रखेगा, तो समाज एवं देश का विकास संंभव नहीं होगा। गाँधी को जीवन में उतारना कठिन है। लेकिन उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. मुस्तफा कमाल अंसारी ने कहा कि अहिंसा सबसे बड़ा मूल मंत्र है। वर्त्तमान परिस्थति में विश्व में सौहार्द स्थापित करने में गाँधी दर्शन काफी कारगर साबित होगा।