नई दिल्ली, (हि.स.)। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट 27 अप्रैल को सुनवाई करेगी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आप हमें ये बतायें कि इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाना क्यों जरूरी है।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने कानून बनाया है जिसमें आधार को इस्तेमाल करना जरुरी है । रोहतगी ने कहा कि हमने पाया है कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने फर्जी पैन कार्ड बनवा रखे हैं और उनके पास काफी संपत्ति है । आधार कार्ड से उन्हें ट्रैक किया जा सकता है । यही वजह है कि आधार कार्ड को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए अनिवार्य किया जा रहा है । सिम कार्ड में भी यही स्थिति है जिसकी वजह से वहां भी आधार को लाया जा रहा है । जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि आधार को अनिवार्य बनाने का नतीजा ये होगा कि अगर आधार हमारे पास नहीं है तो हमारा पैन कार्ड अवैध हो जाएगा ।
याचिका में कहा गया था कि आधार कार्ड के जरिए सरकार लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही है, जो निजता यानि राइट टू प्राइवेसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इससे पहले अक्टूबर 2015 में आधार कार्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को बड़ी राहत मिली थी। संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
दरअसल, पिछले साल 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता प्रतिबंधित करने से हो रही परेशानी को लेकर आरबीआई, सेबी और गुजरात सरकार ने गुहार लगाई थी, लेकिन तीन जजों की बेंच ने राहत न देते हुए मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेज दिया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि केवल एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस के लिए ही आधारकार्ड का इस्तेमाल हो सकता है। सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आधार के जरिये सरकार देश के छह लाख गांवों में घर-घर पहुंची है। सरकार ने कहा कि लोगों को मनरेगा के लिए घर तक बैंक पैसा पहुंचा रहे हैं। खास कर तब जब उसके पास आधारके अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र न हो।