मुंबई, (हि.स.) । साल 2019 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर अगले साल फरवरी में पेश होने वाले बजट में सरकार कृषि के साथ कॉर्पोरेट को भी भरपूर राहत दे सकती है। यह एक लोकलुभावन बजट होगा जिसमें कॉर्पोरेट टैक्स में भी कटौती की जा सकती है।
सरकार ने पिछले बजट में यह कहा था कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था से प्रतिस्पर्धा के माहौल में कॉर्पोरेट टैक्स को घटा सकती है और यह 20 फीसदी के करीब हो सकता है। बाजार के विश्लेषकों के मुताबिक पिछले तीन सालों से सरकार ने बहुत ही सही दिशा में भौतिक अनुशासन बनाया है और कम भौतिक घाटे की वजह से इसे अच्छा खासा लाभांश भी मिल रहा है। एक तो कम मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में कमी की वजह भी सरकार के लिए राहत की बात है।
हालांकि, वित्त वर्ष 2019 में जीएसटी तथा नोटबंदी का लाभ सरकार को मिलेगा। एक विश्लेषक के मुताबिक ई-वे बिल नए साल में अमल में आ सकता है। इससे ज्यादा प्रत्यक्ष करदाताओं को जोड़ने में मदद मिलेगी। 2019 के वित्त वर्ष में जीडीपी में भी वृद्धि दिख सकती है। ब्याज दरों के नीचे जाने और खपत की मांग बढ़ने से ऑटो के आंकड़ों में मजबूत वृद्धि दिखी है। वैश्विक वृद्धि की दर जिस तरह से बढ़ी है, उससे निर्यात के वृद्धि को भी मदद मिलेगी।
दरअसल सरकार का फोकस कम लागत वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट पर है जो नए आवास के रूप में दिख सकता है। इसके लिए जो पूंजी का निवेश है, उसमें भी तेजी दिख सकती है। सुधार आधारित राजस्व मजबूत अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति प्रदान करेंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि कॉर्पोरेट टैक्स वैश्विक अर्थव्यवस्था के दबाव में कम करने की जिम्मेदारी सरकार पर होगी जो कि अभी तक काफी ज्यादा है। सरकार ग्रामीण भारत में सब्सिडी पर फोकस कर रही है वह जारी रह सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि वित्त, ऑटो व कंज्यूमर सेगमेंट के साथ रिटेल सेगमेंट भी अगले वित्तीय वर्ष में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। टेक्सटाइल्स हालांकि अभी तक मुश्किल दौर में है, पर आगे इसमें सुधार की गुंजाइश दिख सकती है।