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फिक्की में मोदी: पिछली सरकार की कारस्तानियों के वक्त फिक्की कहां था?
By Deshwani | Publish Date: 14/12/2017 10:37:35 AM
फिक्की में मोदी: पिछली सरकार की कारस्तानियों के वक्त फिक्की कहां था?

नई दिल्ली, (हि.स.)। मुझे पता चला है कि फिक्की के एक चौथाई सदस्य रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े हैं|इसीलिए पूछना चाहता हूं कि जब देश में बिल्डर्स आम लोगों के साथ मनमानी कर रहे थे, तब फिक्की कहां था? इसी तरह पिछली सरकार से हमें सबसे बड़ी लायबलिटी जो मिली है, वो है बैकों का एनपीए, यानि नॉन परफॉर्मिंग एस्सेट्स। मैं आपको बताना चाहूंगा कि टूजी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, कोयला घोटाला जैसे पिछली सरकार के तमाम घोटालों में बैंकों का एनपीए सबसे बड़ा घोटाला रहा। सरकार के लोगों ने बैंकों पर दबाव डालकर अपने कारोबारी मित्रों को आम जनता का पैसा लोन के रूप में दे दिया। मैं पूछना चाहूंगा कि जब ये सब हो रहा था, क्या फिक्की ने कोई रिपोर्ट या सर्वे किया? क्या फिक्की ने उस दौरान सरकार को चेताया? आखिर क्यों आप में से ही बड़े कारोबारियों की कंपनियों में छोटे-मोटे उद्यमियों यानि एमएसएमई कारोबारियों का बकाया महीनों-महीनों तक होता है? 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये सवाल फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की सालाना एजीएम के दौरान अपने उद्घाटन भाषण में उठाए। प्रधानमंत्री फिक्की के 90 साल पूरे होने पर बोल रहे थे। पीएम मोदी ने देश के आर्थिक हालातों और उस पर फिक्की की भूमिका को लेकर कड़े सवाल पूछे। अपने वक्तव्य में मोदी ने कहा कि फिक्की की स्थापना 1927 में हुई थी| ये वो वक्त था जब देश साइमन कमीशन के खिलाफ एकजुट हुआ था। ऐसे वक्त में कारोबारी जगत भी एकजुट हुआ था। ऐसे ही हालात अब देश में हो गए हैं| हमें फिर से एकजुट होना पड़ेगा। ये फिक्की के लिए मंथन का समय है कि कैसे अपनी आगे की राह तय करें, जिससे देश बेहतरी की ओर बढ़े। 

ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 70 साल में देश में एक ऐसी व्यवस्था बना दी गई, जहां आम जनता को, गरीबों को, महिलाओं को, छात्रों को हर बात के लिए भटकना पड़ता था। फिर वो रसोई गैस हो, या पेंशन या बैंक में खाता खुलवाना हो या स्कूल-कॉलेज की छात्रवृति लेनी हो। हम आम लोगों की उस बरसों से चली आ रही परेशानी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी सरकार के दौरान ऐसी ही योजनाएं लाई जा रही हैं, जो आम लोगों की परेशानियों को कम कर सकें। जैसे हमारी सरकार की 'जन-धन योजना' को देखें। तीन साल में करोड़ों गरीबों के बैंक खाते खुले, जिन्हें पहले बैंकों के दरवाजे से लौटा दिया जाता था। एक स्टडी में पता चला कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई कम हुई है। इसी तरह उज्ज्वला योजना से तीन करोड़ से ज्यादा गरीब महिलाओं को रसोई गैस की सुविधा मुहैय्या करवाई गई। इस सर्वे में पता चला कि इस योजना की सफलता से ग्रामीण इलाकों में ईंधन के दाम कम हुए हैं। 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत 5 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए गए। मुद्रा बैंक के जरिए पौने 10 करोड़ युवाओं को 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन दिए गए, जिससे उन्होंने अपनी उद्यमिता शक्ति के बल पर छोटे व्यवसाय शुरू किए। एक सर्वे में सामने आया कि पिछले तीन साल में 3 करोड़ से ज्यादा नव-उद्यमी देश में बने हैं। ये हमारी सरकार की कोशिशें हैं। लेकिन हमारी पूर्ववर्ती सरकारों के समय सरकार में बैठे लोगों ने बैकों पर दबाव डाले और अपने लोगों को अंधाधुंध कर्ज दिए। बैंक एनपीए हमें एक लायबलिटी के रूप में मिला। ये पिछली सरकार के टूजी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, कोयला घोटाला से कहीं बड़ा घोटाला है। मैं जानना चाहता हूं कि क्या फिक्की को जब ये सब हो रहा था, तब नहीं पता था? क्या फिक्की ने, जो खुद को इंडस्ट्री की आवाज बताता है, कभी सरकार को इस बारे में कहा? क्या कोई सर्वे या रिपोर्ट फिक्की ने तैयार की? 

प्रधानमंत्री ने फिक्की के सदस्यों में बिल्डर्स की संख्या का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार रेरा कानून लाई, जिसने आम जनता को बिल्डर्स की मनमानी से राहत दिलाई। फिक्की के सदस्यों में से एक चौथाई रियल इस्टेट से जुड़े हैं| ऐसे में क्या फिक्की ने कभी आम लोगों के मकान के सपने को पूरा करने के लिए कोशिश की थी? रेरा कानून बनने के पहले फिक्की ने क्यों नहीं ये बात पिछली सरकार के काल में कही? 

एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को लेकर नरेन्द्र मोदी फिक्की पर व्यंग्य करने से नहीं चूके। मोदी ने कहा कि आज फिक्की अपने 90 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है, लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है फिक्की में एमएसएमई सेक्टर को लेकर सेल की स्थापना साल 2013 में की गई। मात्र चार साल पहले। ऐसे में फिक्की, जो खुद को इंडस्ट्री की आवाज कहता है, कैसे 70 फीसदी कारोबारियों से दूर रहा? इतना ही नहीं फिक्की के सदस्यों में बड़ी कंपनी वाले बहुत से कारोबारी हैं, क्या उनके यहां एमएसएमई कारोबारियों का बकाया महीनों तक नहीं रहता? आखिर क्यों बड़ी कंपनी वाले छोटे उद्यमियों को उनके हक का पैसा समय पर नहीं देते? क्या फिक्की ने इस दिशा में कुछ किया? 

जीएसटी को लेकर भी पीएम मोदी कारोबारियों को निरूत्तर करने से नहीं चूके। मोदी ने कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो महीने में चार-चार कारोबारी प्रतिनिधिमंडल आते थे| कभी फिक्की से, कभी सीआईआई से तो कभी किसी और कारोबारी संगठन से। हर बार मुझे जीएसटी लागू करने को लेकर प्रयास करने को कहा जाता। अब जब हमारी सरकार ने जीएसटी लागू कर दिया है, तो बहुत कुछ सुनने को मिल रहा है। नया टैक्स सिस्टम है, उसे जमने में समय तो लगेगा। 

फिक्की की 90वीं स्थापना वर्षगांठ के मौके पर हुए इस उदबोधन में पीएम मोदी तीन साल में भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर पर आर्थिक छवि को लेकर विस्तार से बताया और कहा कि आप क्रिकेट के समान 90 रन बनने के बाद शतक बनाने के चक्कर में धीमें मत हो जाना। आगे बढ़िए, जोर लगाइए और लक्ष्य को हासिल करिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में 21 सेक्टर्स में 87 रिफॉर्म्स किए गए। जिसके चलते आज सारे वैश्विक पैरामीटर्स में भारत बेहतर प्रदर्शन करता दिखता है। 

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