मुंबई, (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति वाली समिति की दो दिवसीय बैठक मंगलवार से शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि बुधवार को केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में किसी भी तरह की कटौती नहीं करेगा। इसका प्रमुख कारण हाल के समय में मुद्रास्फीति में तेजी है।
बाजार के विश्लेषकों, कुछ फंड मैनेजरों और रिसर्च मैनेजरों के मुताबिक इस बार रिजर्व बैंक बुधवार को नीतिगत दरों की समीक्षा करेगा लेकिन दरों किसी प्रकार के बदलाव की उम्मीद कम है। आरबीआई इसे यथावत रख सकता है। हालांकि कुछ लोग यह मान रहे हैं कि दरों में कटौती 25 बेसिस प्वाइंट की हो सकती है लेकिन अधिकतर लोग इसके पक्ष में नहीं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अगले साल रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोत्तरी भी कर सकता है लेकिन इसके लिए आगे के समय का इंतजार करना होगा।
बतादें कि मुद्रास्फीति की दर इस समय सात महीने के उच्च स्तर पर है और यह मजबूत अर्थव्यवस्था की तेजी के कारण मौद्रिक राहत में कटौती की गुंजाइश भी हो रही है लेकिन रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर पूरी तरह से फोकस कर रखा है। इस पूरे साल केवल अगस्त महीने में रिजर्व बैंक ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, जबकि अक्टूबर में नीतिगत दरों को यथावत रखा गया था। उसके बाद से लगातार मुद्रास्फीति में बढ़त देखी जा रही है।
वैसे अभी तक रिजर्व बैंक ने पिछले दो सालों में जो मौद्रिक नीति की दरों में कटौती की थी, पूरी तरह से बैंक अभी तक ग्राहकों को उसका लाभ नहीं दिए हैं। इसलिए हो सकता है कि बैंक रिजर्व बैंक की इस मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद अपनी ब्याज दरों की समीक्षा कर कुछ कटौती करें। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि हाल में जो सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के आंकड़े आए हैं, उसे देखते हुए रिजर्व बैंक जीडीपी के अनुमान में बदलाव कर सकता है।
जीडीपी अनुमानों के मुताबिक ही रहा है लेकिन पूरे साल के दौरान इसे अभी आने वाले मार्च के लिहाज से आरबीआई अनुमानों में बदलाव कर सकता है। रिजर्व बैंक ने पहले जो महंगाई का लक्ष्य रखा था, माना जा रहा है कि उसमें वह किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा।