न्यूयार्क, (हि.स.)। उत्तरी कोरिया से संकट के बावजूद अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में गुरुवार को ज़बरदस्त उछाल देखा गया। डो जोंस यहां चौबीस हज़ार अंकों तक पहुँच गया, जो एक कीर्तिमान माना जा रहा है।
स्टैंडर्ड और पूअर्स ने भी पिछले तेरह महीनों में लगातार बढ़त हासिल की की है, जिसे एक असमान्य घटना बताया जा रहा है। स्टेण्डर्ड पूअर्स ने 0.82 प्रतिशत की बढ़त दर्शाई है, जो 2647. 58 अंक पर बंद हुआ।
इसी तरह नैस्डक में भी अच्छे संकेतों के साथ 0.80 प्रतिशत का सुधार हुआ। कारपोरेट जगत इसका श्रेय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कारपोरेट ब्याज दरों में कटौती, व्हाइट हाउस की व्यावसायिक नीतियां और कारोबार में किसी तरह का नहीं होना बता रहे हैं।
विदित हो कि अमेरिकी निर्भीकता के साथ बड़ी तादाद में शेयर बाजार में पूंजी निवेश कर रहे हैं, जो पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में नहीं दिखाई पड़ा।
शेयर बाजार के एक विशेषज्ञ चार्ली बिलेलो कहते हैं कि जब सब कुछ सुनहरा दिखाई पड़ने लगता है, तो निवेशकों का प्रेरित होना स्वाभाविक है। अब देखिए, रोज़गार निरंतर बढ़ रहे हैं, कारपोरेट की तरक्की हो रही है और अब संघीय सरकार ने कारपोरेट करों में कटौती करने के संकेत दिए हैं।
यह भी कहा जा रहा है की कारपोरेट करों में कटौती नहीं होती है, तो इसका प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है। साथ ही उत्तर कोरिया की ओर से शरारत होती है, तो शेयर बाजार में तीस साल पहले 19 अक्टूबर 1983 के दिनों की पुनरावृत्ति हो सकती है। उस समय न्यूयार्क स्टाक एक्सचेंज में हाहाकार मच गया था।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में हाल ही की आर्थिक मंदी के बाद यह पहला मौक़ा है जब निवेशकों में भारी उत्साह दिख रहा है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक (फ़ेड रिज़र्व) की अध्यक्ष जेनेट एलान ने भी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बताते हुए अगले महीने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के संकेत दिए हैं।