लखनऊ, (हि.स.)। प्याज के बढ़े दाम कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। महाराष्ट्र और नासिक में हुई बारिश के कारण प्याज का रकबा घट गया है। इसलिए नये साल में भी इसकी मंहगाई कम होने के आसार नहीं लग रहे हैं। लखनऊ मंडलीय जिलों की मंडियों में प्याज की कीमतें 24 अक्टूबर को 1900 से 2000 रुपए प्रति कुंतल थी वहीं मौजूदा समय में कीमतें बढ़कर 2850 से लेकर 3000 रुपए पर पहुंच गई हैं।
कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय, उत्तर प्रदेश की मानें तो मौजूद समय में मंडियों में प्याज की आवक कम है। इसका नतीज़ा है कि प्याज का थोक भाव 2850 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच गया है, वहीं फुटकर भाव 40 रुपए किलो है।
लखनऊ में सीतापुर रोड पर नवीन गल्ला मंडी में सब्जियों के बड़े व्यापारी मो. रफीक पिछले आठ वर्षों से प्याज का व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंडी में हरियाणा और नासिक से प्याज बहुत ज़्यादा आता है, लेकिन इस समय प्याज का कोई भी डीलर नहीं मिल पा रहा है। दिसंबर से मंडी में खरीफ का प्याज आने लगता है, लेकिन इस बार नासिक में बारिश बहुत हो गई है, इसलिए वहां प्याज देर से बोया गया है। बाहर से प्याज कम आ रहा है, इसलिए यहां पर प्याज के दाम बढ़ रहे हैं।
पिछले महीने प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने प्याज पर स्टॉक सीमा की अवधि दिसंबर तक बढ़ा दी है। प्याज की जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक रखने की सीमा को 31 अक्तूबर 2017 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2017 किया गया है। लेकिन मंडियों में प्याज की आवक नहीं बढ़ रही है।
मंडी परिषद के सह निदेशक कृषि विपणन एवं विदेश प्यापार दिनेश चंद्रा के अनुसार चारों राज्यों में प्याज का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है ऐसे में अब प्याज व्यापारियों को खरीफ की खेप के आने का इंतज़ार था। लेकिन बाहर से प्याज न आने पर मंडियों में प्याज की आवक लगातार घट रही है, इसलिए प्याज महंगा बिक रहा है।
मंडी परिषद, यूपी के निदेशक धीरज कुमार ने बताया कि मंडियों में किसी भी कृषि उत्पाद का रेट निर्धारित नहीं होता है। आवक के आधार पर रेट घटता- बढ़ता है।