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यूपी में योजनाएं सही ढंग से लागू होने पर एक लाख लोगों को मिल सकता रोजगार: एसोचैम
By Deshwani | Publish Date: 5/10/2017 9:56:26 PM
यूपी में योजनाएं सही ढंग से लागू होने पर एक लाख लोगों को मिल सकता रोजगार: एसोचैम

 लखनऊ, (हि.स.)। देश की प्रमुख आर्थिक संस्था एसोचैम ने गुरुवार को यूपी के आर्थिक विकास और निवेश के प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में निवेश की रफ्तार बीते पांच सालों में लगभग दो गुनी हो रही है। 

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस रावत और मैनेजिंग कमेटी सदस्य बाबूलाल जैन द्वारा जारी आकंड़ो को माने तो पांच साल में यूपी में निवेश की दर 43.7 प्रतिशत रही है जबकि देश में निवेश दर की 26 प्रतिशत ग्रोथ हुई। इसके साथ ही एसोचैम की रिपोर्ट बताती है कि यदि अगले छह महीने में योगी सरकार 50 प्रतिशत परियोजनाओं की शुरुआत भी कर दे तो ढाई लाख युवाओं को रोजगार मिल सकता है। एसोचैम ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को 31 मार्च 2017 तक प्रदेश में आये नौ लाख करोड़ रुपये की 1050 परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये एक विशेष निगरानी समिति गठित करने का सुझाव दिया है।
एसोचैम द्वारा किये गये ताजा अध्ययन ‘उत्तर प्रदेश-इकोनॉमिक ग्रोथ एण्ड इन्वेस्टमेंट परफॉर्मेंस एनालीसिस’ में इस बात को रेखांकित किया गया है कि अगर 50 प्रतिशत परियोजनाओं को भी समय से लागू कर लिया गया, तो इससे प्रदेश में रोजगार के एक लाख प्रत्यक्ष अवसर तथा डेढ़ लाख अप्रत्यक्ष अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी। 
डीएस रावत ने कहा कि वित्तीय साल 2017 के अनुसार उत्तर प्रदेश में छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की 606 परियोजनाएं अपनी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। हाल के वर्षों में परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की दर तेज हुई है। साल 2011-12 में जहां यह 52.4 प्रतिशत थी, वहीं साल 2016-17 में यह बढ़कर 70.2 प्रतिशत तक पहुंच गई।
एसोचैम के मुताबिक, परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने के क्षेत्रवार विश्लेषण से पता लगता है कि सबसे ज्यादा सिंचाई क्षेत्र की परियोजनाएं अपने क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं। 
साल 2016-17 के दौरान निवेश के सापेक्ष 98.1 प्रतिशत परियोजनाएं प्रक्रियाधीन थीं। उसके बाद खनन (91.5 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (89.8 प्रतिशत), बिजली (68.2 प्रतिशत), सेवा क्षेत्र (63 प्रतिशत) और विनिर्माण क्षेत्र (43.6 प्रतिशत) की बारी आती है।
एसोचैम के इकोनॉमिक रिसर्च ब्यूरो द्वारा तैयार किये गये इस अध्ययन के अनुसार ‘‘उत्तर प्रदेश ने निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों में घरेलू और वैश्विक निवेशकों से नौ लाख करोड़ रुपये के सक्रिय निवेश वाली 1050 परियोजनाएं अर्जित की थीं। वित्तीय वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश द्वारा आकर्षित किये गये कुल सक्रिय निवेश में गैर-वित्तीय सेवाओं की हिस्सेदारी काफी बड़ी यानी 39 प्रतिशत के आसपास है। इसके बाद बिजली (27 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (22.5 प्रतिशत) एवं विनिर्माण (करीब 8 प्रतिशत) क्षेत्र की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।’
एसोचैम ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिये हैं, जिनमें प्रभावी बिजली आपूर्ति का विषय भी शामिल है। उत्तर प्रदेश इन दिनों बिजली की किल्लत से जूझ रहा है। प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादन पर निर्भर करता है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान बेहद कम है। एसोचैम ने सरकार को क्लस्टर आधारित योजना अपनाने का सुझाव देते हुए कहा है कि इससे औद्यानिकी का विकास करना सम्भव है। कार्यक्रमों तथा अन्य विभागों की योजनाओं में सामंजस्य बनाने के लिहाज से क्लस्टर-आधारित रवैये को और मजबूत करने की जरूरत है। इसके अलावा, एसोचैम ने सरकार से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने, ग्रामीण सड़कों का विकास करने, शिक्षा क्षेत्र के विकास की पहल करने, कुटीर लघु एवं मध्यम उद्योग इकाइयों का विकास करने, किसानों की सहभागिता बढ़ाने की अवश्यकता को बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी और नोटबन्दी का असर हुआ है। नई औद्योगिक नीति से माध्यम निवेश बढ़ने की उम्मीद है।
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