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त्योहारों का मजा किरकिरा न कर दें जीएसटी
By Deshwani | Publish Date: 17/9/2017 4:01:58 PM
त्योहारों का मजा किरकिरा न कर दें जीएसटी

 नयी दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने में आ रही दिक्कतों की वजह से आगामी त्योहारी मौसम को देखते हुये व्यापारियों की परेशानी बढ गई है। उनका कहना है कि ईद, राखी पर कारोबार पहले ही कमजोर रहा, अब दिवाली का समय आ रहा है लेकिन बाजार में रौनक नहीं दिखाई दे रही। पहले नोटबंदी का असर रहा तो अब जीएसटी नेटवर्क में आ रही दिक्कतें परेशानी का सबब बन रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि कारोबार के बजाय इस समय उनका सारा ध्यान जीएसटी रिटर्न भरने पर है। व्यापारियों को एक महीने में तीन-तीन फॉर्म जीएसटी-आर एक, दो और तीन जमा कराने पड रहे हैं। केवल व्यापारी ही नहीं, कर सलाहकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी रिटर्न भरने में आ रही दिक्कतों को स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि जीएसटी परिषद को इसे सुगम बनाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए।

 
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स का कहना है कि यदि यही हालात रहे तो व्यापारियों को आंदोलन का रास्ता चुनना पड सकता है। कैट के अध्यक्ष बी सी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि जीएसटी क्रियान्वयन के 75 दिन व्यापारियों के लिए परेशानी भरे रहे। उन्होंने कहा कि कैट ने 18 और 19 सितंबर को सूरत में व्यापारी नेताओं की बैठक बुलाई है जिसमें जीएसटी को लेकर आ रही दिक्कतों पर चर्चा की जाएगी। सत्येंद्र जैन एसोसिएट्स की निशा सिंह भी मानती हैं कि जीएसटीएन पोर्टल पर दिक्कतें आ रही है जिसकी वजह से सरकार लगातार रिटर्न भरने की तारीख आगे बढा रही है। निशा कहती हैं, जिस तरह आयकर रिटर्न भरने में मदद के लिए टीआरपी (टैक्स रिटर्न प्रिपेयरर) की सुविधा है, ऐसा ही प्रावधान जीएसटी में भी किया गया है, लेकिन इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है।
 
इसके लिये अभियान चलाया जाना चाहिये। कर सलाहकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित आजाद कहते हैं कि बहुत से छोटे व्यापारी अभी तक सिर्फ बहीखातों पर काम करते रहे हैं। अब उन्हें न केवल कंप्यूटर लगाना पड रहा है, बल्कि आनलाइन रिटर्न भी जमा करानी पड रही है। इस पर रिटर्न दाखिल करने वाले पोर्टल का ठीक से काम नहीं करना उनके लिए परेशानी पैदा कर रहा है। होलसेल हौजरी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण आनंद कहते हैं कि जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया गया। व्यापारी इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हो पाए।
 
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