नई दिल्ली। सरकार को डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन के लिए कर छूट और अन्य तरीके के लाभ प्रदान करने चाहिए। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में सरकार के देश में डिजिटल भुगतान को आगे बढ़ाने के प्रयासों का समर्थन किया, पर साथ ही कहा कि सरकार अपने प्रयास में तभी सफल हो सकती जबकि उपभोक्ताओं से लेकर दुकानदारों तक को इसके लिए प्रोत्साहन दिया जाए।
उन्होंने कहा कि आज डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने की लागत बैठती है, इसलिए न तो ग्राहक डिजिटल तरीके से भुगतान करने को तैयार होता है, नहीं मर्चेंट भी अपने मार्जिन में से इस लागत का बोझ उठाने को तैयार होता है। कैट ने आज अलायंस फॉर डिजिटल भारत (एडीबी) ने नकदीरहित, डिजिटल भारत की रूपरेखा के लिए अपने सुझावों के तहत यूनिवर्सल एक्सेस टू इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ओपन पेमेंट सिस्टम्स रपट जारी की। इस पर एक वेबसाइट भी शुरु की गई है।
खंडेलवाल ने कहा कि न केवल डिजिटल भुगतान के लिए उपभोक्ताओं का कर छूट या अन्य प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए बल्कि डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले दुकानदारों को भी प्रोत्साहन के लिए कोई अवार्ड योजना शुरु की जानी चाहिए। उन्होंने रूपे कार्ड की निगरानी के लिए एक अलग प्राधिकरण के गठन का सुझाव दिया। खंडेलवाल ने कहा कि अभी एनपीसीआई डिजिटल भुगतान प्रणाली का नियामक भी है और साथ ही वह रूपे कार्ड की निगरानी भी करता है, जिसकी वजह से रूपे कार्ड का आज इतने बरसों बाद भी विस्तार नहीं हो पाया है।
खंडेलवाल ने कहा कि देश में कम नकदी वाली व्यवस्था बनाने के लिए सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र का सहयोग काफी जरूरी है। नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल भुगतान के लिए दुकानदारों और ग्राहकों के लिए पुरस्कार योजना शुरू की थी और करोड़ों रूपए के पुरस्कार बांटे भी थे। पर यह योजना सिर्फ भीम, यूपीआई इत्यादि प्रणाली से किए गए भुगतान के लिए ही थी।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में डिजिटल अर्थव्यवस्था चाहती है तो उसे इस तरह की योजना में पूरी डिजिटल भुगतान प्रणाली को शामिल करना चाहिए। इस मौके पर दिल्ली व्यापार महासंघ के देवराज बावेजा ने कहा कि नोटबंदी के बाद दुकानदारों द्वारा डिजिटल भुगतान लेने के लिए पीओएस तो लगाया जा रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार अभी इतनी तेज नहीं है। अभी पीओएस की संख्या करीब 25 लाख है, जबकि नोटंबदी से पहले यह आंकड़ा 15 लाख का था।
कैट के अनुसार इस समय देश में 82 करोड़ डेबिट कार्ड और ढाई करोड़ क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होता है। मगर इनमें से 95 प्रतिशत डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ एटीएम से पैसा निकालने के लिए किया जाता है। ऐसे में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से बिलों के भुगतान को प्रोत्साहन देने के लिए इन पर किसी तरह का बैंक शुल्क नहीं लगना चाहिए, तभी सरकार अपने डिजिटल भुगतान के लक्ष्य को हासिल कर पाएगी।
खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ने 2,500 करोड़ डिजिटल लेनदेन का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जबकि डिजिटल लेनदेन पर लागत न लगाई जाए। रिपोर्ट में डिजिटल पेमेंट एडाप्शन बोर्ड के गठन का सुझाव दिया गया है। इसमें भुगतान प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ व्यापार जगत के लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। कैट यह रपट वित्त मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों को भी सौंपेगा।