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सरसों की नई किस्म के बीज से होगा किसानों को फायदा
By Deshwani | Publish Date: 20/8/2017 2:48:38 PMलखनऊ, (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने सरसों की नई किस्म (आर एच 725) विकसित की है। यह किस्म शुष्क क्षेत्रों में समय पर बिजाई की स्थिति के लिए उत्तम है। सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए नये प्रकार के बीजों का शोध किये जाने के बाद इस उत्तम किस्मों के बीजों से किसानों को खूब फायदा होगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहायक महानिदेशक डॉ. एसके सिंह ने उम्मीद जताई कि अधिक उत्पादन तथा तेल की अधिक मात्रा के कारण यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा उपरोक्त राज्यों में अधिक लोकप्रिय होगी। इससे तिलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि तिलहन अनुभाग के वैज्ञानिकों द्वारा अब तक विकसित की गई विभिन्न उन्नत किस्मों की बदौलत आज हरियाणा सरसों की उत्पादकता में देश में अग्रणी राज्य है।
अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके. सेठी ने आर एच 725 की विशेषताओं बारे बताया कि यह किस्म लगभग 136-143 दिन में पककर तैयार हो जाती है, जिसकी औसत पैदावार 25-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म की फलियां लम्बी और इसमें दानों की संख्या अधिक होती है जिसके कारण अन्य उन्नत किस्मों की अपेक्षा इस किस्म की लगभग 22.6 प्रतिशत अधिक पैदावार है। इस किस्म का दाना आकार में बड़ा है जिसमें तेल की मात्रा लगभग 40 प्रतिशत होती है।
तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके श्योराण ने बताया कि हकृवि के तिलहन अनुभाग की देश के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केन्द्रों में गिनती होती है।