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नई जैव ईंधन नीति लाकर आरएंडडी पर खर्च करेंगे 2 अरब डॉलर : धर्मेंद्र प्रधान
By Deshwani | Publish Date: 10/8/2017 3:38:54 PM
नई जैव ईंधन नीति लाकर आरएंडडी पर खर्च करेंगे 2 अरब डॉलर : धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली, (हि.स.)। पेट्रोलियम पदार्थों का आयात वर्ष 2022 तक घटाकर 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित कर भारत सरकार ने जैव ईंधन को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया है। साथ ही घोषणा की है कि जल्द ही नई जैव ईंधन नीति बनाई जाएगी जिसके तहत सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियों और उससे जुड़े अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) पर दो अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे।
 
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को विश्व जैव ईंधन दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है| सरकार कच्चे तेल के आयात में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है| साथ ही ऊर्जा के वैकल्पिक अक्षय स्रोत को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं विकास पर निवेश तीनों सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार नयी जैव ईंधन नीति लाने वाली है जिसे जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखा जायेगा।
 
प्रधान ने कहा कि पिछले तीन साल में विशेषकर जैव ईंधन के बारे में जितनी पहल इस क्षेत्र में हुई है उतनी पिछले कई दशकों में नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अब हमने तय किया है कि यह केवल एक दिन का उत्सव नहीं होगा| इसे एक जनआंदोलन का रूप देना होगा। इस बार 10,11,12 और 13 चार दिन देशभर के सौ जिलों में एक विशेष सेक्टर को पार्टनरिशप देते हुए जनआंदोलन को आगे ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने इस बार शिक्षण संस्थानों पर जोर दिया है क्योंकि जब बच्चे और नौजवान इस विषय को समझेंगे तब जाकर यह एक आंदोलन का रूप लेगा। उन्होंने कहा कि हर घर में स्वच्छ ईंधन और बिजली उपलब्ध कराना और उसके लिए वातावरण बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
 
उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की विशेषकर ट्रांसपोर्टेशन और घरेलू ईंधन की एलपीजी, केरोसिन, पेट्रोल व डीजल को 80 प्रतिशत बाहर से लाना पड़ता है। जिसका खर्च आज के दिन में लगभग छह लाख करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमको लक्ष्य दिया है इस 80 प्रतिशत की निर्भरता को घटाकर 2022 तक 10 प्रतिशत करना है। उन्होंने बताया कि शहरी कचरा, खेतों व जंगलों में जो कचरा है, बुंदेलखंड और विदर्भ, झारखंड और ओडिशा की कम उपज वाली भूमि में भी, कम बारिश वाली भूमि में भी हम ऊर्जा के लिए रॉ मटेरियल मिले| इसके लिए हम दिल्ली के शिक्षा विभाग, विज्ञान और तकनीकी विभाग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सहयोग लेकर आने वाले दिनों में इसे एक लोक अभियान के तौर पर पेश करेंगे। 
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