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आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में की कटौती, ऋण होगा सस्ता
By Deshwani | Publish Date: 2/8/2017 4:09:52 PM
आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में की कटौती, ऋण होगा सस्ता

नई दिल्ली, (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आशा के अनुरुप बुधवार को अगस्त माह की द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 25 आधार बिन्दुओं की कटौती की है। इससे ब्याज सस्ता होने की उम्मीद है जिससे अर्थव्यवस्था को और गति मिल सकती है। 
बैंक की कटौती के बाद अब रैपो दर पिछली दर 6.25 से घटाकर 6 प्रतिशत कर दी गई है और रिवर्स रैपो दर 6 से घटकर 5.75 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पहले अक्टूबर 2016 में केन्द्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती की थी। 
रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने 25 बीपीएस की कटौती की बात कही, वहीं एक ने 50 की कटौती और दूसरे ने यथा स्थिति बनाये रखने की बात कही। उम्मीद की जा सकती है कि दो महीने बाद फिर होने वाली अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में भी चौथाई प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘अच्छे मॉनसून और जीएसटी के सहजता से लागू हो जाने की वजह से समिति को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने में आसानी हुई।’’
आरबीआई ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘‘एमपीसी की जून 2017 की बैठक के बाद से विकास के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक आवेग आया है| हालांकि अभी भी इसमें स्वयं अपने को उबारने की ताकत नहीं है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में जैसे अमेरिका ने कमजोर पहली तिमाही के बाद दूसरी तिमाही में तेज गति से विस्तार किया है, जो श्रम बाजार की स्थितियों में लगातार सुधार, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि, उम्मीद की मुद्रास्फीति के मुकाबले नरम और औद्योगिक उत्पादन में सुधार के साथ उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ा है। हालांकि नीति और राजनीतिक जोखिम अभी भी इस दृष्टिकोण पर बादल बनकर छाये हुए हैं। 
शीर्ष बैंक का कहना है कि अव्यवस्था चलाने वाले क्षणिक और संरचनात्मक कारकों का निर्णायक अंतर अभी भी स्पष्ट नहीं है। 
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के पहले आज सुबह भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत तेजी के साथ हुई है। बाजार खुलते ही प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 104 ऊपर चढ़ गया लेकिन कुछ देर बाद निफ्टी में गिरावट नजर आई और यह लाल निशान के पास नजर आया।
विशेषज्ञों और बैंकर इस बात की आशा जता रहे थे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अपनी तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कम से कम 0.25 प्रतिशत तक बेंचमार्क उधार दर में कटौती कर सकता है। ऐसौचेम और फिक्की जैसे उद्योग परिसंघ ने भी कहा था कि आरबीआई को कटौती करनी चाहिए। 
उपभोक्ता आधिरित मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और थोक मूल्य सूचकांक दोनों में मुद्रास्फीति में हाल ही में कमी आई है। वित्त वर्ष में अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से खाद्य मुद्रास्फीति में और कमी आने के आसार हैं। वहीं पिछले एक साल से कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता के कारण चालू खाता घाटा स्थिर रहा है। दूसरी ओर फैक्ट्री उत्पादन वृद्धि में गिरावट चिंता बनी हुई है। इसी को देखते हुए बैंक ने अपनी दरों में कटौती की है। 
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