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जीएसटी को पहले महीने में देश भर में मिली सफलता, लेकिन व्यापारियों में संशय बरकरार
By Deshwani | Publish Date: 31/7/2017 6:15:04 PM
जीएसटी को पहले महीने में देश भर में मिली सफलता, लेकिन व्यापारियों में संशय बरकरार

नई दिल्ली, (हि.स.)। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि देश में जीएसटी को लागू हुए एक महीना पूरा हो गया है और इस अवधि में विशेष रूप से व्यापारी समुदाय द्वारा इस नई कर व्यवस्था को आसानी से अपनाया गया। साथ ही, इस दौरान जीएसटी कर की दरें, एचएसएन कोड्स की प्रयोज्यता, रिवर्स प्रभार के इम्पलीकेशन, सही इनवॉइस बनाने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने इत्यादि को लेकर भ्रम एवं असमंजस की स्थिति बनी रही जो कि व्यापारियों द्वारा सामना किए जाने वाले ज्वलंत मुद्दे हैं। 
 
कैट ने कहा हालांकि, सरकार ने इस भ्रम की स्थिति को साफ करने में ट्वीटर, टाउन हॉल इत्यादि द्वारा सक्रिय भूमिका निभाई है, लेकिन इस बीच हितधारकों द्वारा जीएसटी के अनुपालन दायित्वों में विभिन्न प्रक्रियात्मक विफलताओं की एक प्रमुख वजह यह निकलकर सामने आई है कि उनमें जीएसटी की मूलभूत बुनियादी बातों के बारे में जागरूकता और स्पष्टता की कमी है।
 
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी भरतीया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने जीएसटी कर व्यवस्था के लागू होने के एक महीने के सफल समापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कहा, “जीएसटी द्वारा सभी हितधारकों के मध्य समानता की स्थिति उत्पन्न हुई है। 
इससे पहले व्यापार और उद्योग के विभिन्न पहलुओं को अलग-अलग फायदे मिल रहे थे एवं बाजार में असमानता की स्थिति थी लेकिन जैसे ही जीएसटी एक स्थिर कराधान प्रणाली के रूप में स्थापित हो जाएगा इससे सभी व्यवसायिओं यहां तक की छोटे व्यापारियों के लिए भी कारोबार करना आसान हो जाएगा।” दोनों व्यापारी नेताओं जिन्हें उम्मीद है कि वास्तविक रूप में जीएसटी 1 अप्रैल, 2018 से एक स्थिर कराधान प्रणाली बन जाएगी, ने कहा कि जीएसटी द्वारा टैक्स नेट का दायरा भी बढेगा जिससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।
 
कैट हालांकि जीएसटी के व्यापक पहलुओं से संतुष्ट है लेकिन यह प्रक्रियाओं के युक्तिकरण और सरलीकरण के संबंध में देश भर में व्यापारियों की बड़ी मांग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। कैट ने कहा कि जीएसटी के तहत विभिन्न टैक्स स्लैब में विसंगतियों, असमानताओं और विरोधाभास मौजूद हैं और इसे जीएसटी परिषद द्वारा सुलझाया जाना आवश्यक है। इसके अलावा, 28 प्रतिशत की स्लैब पर पुनः विचार किए जाने की आवश्यकता है और कई वस्तुओं को इस स्लैब के नीचे कम टैक्स के दायरे में लाए जाने की आवश्यकता है और कैट के अनुसार इससे व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी।
कैट को देश भर में व्यापारियों से जीएसटी पर बीते एक महीने में प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, यह महसूस किया जा रहा है कि सरकार द्वारा एक बड़ा अभियान जिला स्तर पर व्यापारियों के साथ सीधे संपर्क करने के लिए एवं भ्रम की स्थिति को दूर करने और जीएसटी की प्रक्रियाओं के आसान और सही अनुपालन के लिए और साथ ही व्यापारियों के प्रश्नों के प्रामाणिक समाधान प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है। 
भरतीया एवं खंडेलवाल ने सुझाव दिया कि यह उचित होगा कि जीएसटी अपनाए जाने की निगरानी के लिए यदि प्रत्येक जिले में जीएसटी समितियों का गठन किया जाए जिसमें कर अधिकारियों और व्यापारी वर्ग के प्रतिनिधि दोनों ही शामिल हों। साथ ही, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक समान समिति व्यापारियों और सरकार के बीच एक वास्तविक उत्प्रेरक साबित होगी।
 
दोनों नेताओं ने कहा, “अन्य मुद्दों के अलावा, एचएसएन कोड की प्रयोज्यता एवं इसका अमल में लाया जाना, रिवर्स चार्ज और इनपुट क्रेडिट इत्यादि व्यापारियों के ज्वलंत मुद्दे हैं। विभिन्न गतिविधियों के लिए विभिन्न चालान जारी करना भी एक ऐसा विषय जिसे लेकर व्यापारियों में अभी ज्ञान का अभाव है। लेखा एवं अभिलेखों का रखरखाव, करों का भुगतान करने की देनदारी, अग्रिम विनिर्णय, इत्यादि भी जीएसटी के अंतर्गत ऐसे ही कुछ अन्य क्षेत्र है जिसके लिए व्यापारियों को प्रशिक्षित किए जाने होने की आवश्यकता है।”
 
भरतीया एवं खंडेलवाल ने सुझाव दिया कि चूंकि पहली जीएसटी रिटर्न 5 सितंबर, 2017 को प्रस्तुत किया जाएगा, इसलिए गलत रिटर्न भरने की संभावना को न्यूनतम करने के लिए व्यापारियों को इस संबंध में शिक्षित किया जाना अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार को उन व्यापारियों जो अभी तक डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपना नहीं पाए हैं उनकी इस विषय में सहायता करने के लिए एक नीति तैयार करनी चाहिए क्योंकि जीएसटी एक प्रौद्योगिकी आधारित कराधान प्रणाली है और प्रौद्योगिकी का सशक्तिकरण ही भारत में जीएसटी की सफलता की कुंजी है।
 
कैट गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं के व्यापारिक संचालनों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से रूपांतरित करने के लिए प्रयासरत है और इसका मानना है कि इस प्रकार यह आसानी से व्यापार करने के लिए देश में एक सकारात्मक वातावरण का विकास करेगी जिससे इन संस्थाओं को निश्चित रूप से विकास के और अधिक अवसर प्राप्त होंगे। पूर्व में भी कैट ने व्यापारियों के लिए संचालन एवं भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए अनुकूल व्यावसायिक परिस्थितियों एवं वातावरण तैयार करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
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