नई दिल्ली, (हि.स.)। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने शुक्रवार को जानकारी दी है कि उसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से भारत बिल भुगतान केंद्रीय इकाई (बीबीपीसीयू) के रूप में कार्य करने और भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) संचालित करने की अंतिम स्वीकृति मिल गई है।
बीबीपीएस के तहत बिजली, दूरसंचार, डीटीएच, पानी और गैस सहित करीब 45 करोड़ बिलों को अनुमति मिली है। इसे देश में बिल भुगतान प्रणाली को औपचारिक रूप में आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के लिए केंद्रीय इकाई बनने की प्रक्रिया 31 अगस्त 2016 को शुरू की गई थी। उस समय बीबीपीएस की आठ संचालन इकाइयों को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आरबीआई से सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर संचालित होने के एक साल के बाद अब एनपीसीआई को आरबीआई की ओर से अंतिम मंजूरी प्राप्त हुई है।
एनपीसीआई के एमडी और सीईओ एपी होटा ने बताया, ‘‘आरबीआई की ओर से एक विशिष्ट दिशा निर्देश मिले हैं। बीबीपीएस के तहत लगभग 45 करोड़ बिलों जिसमें बिजली, दूरसंचार, डीटीएच, पानी और गैस शामिल हैं को अनुमति मिली है। यह पहल डिजिटल भुगतान की दिशा में एक प्रमुख कदम होगा क्योंकि यह देश में बिल भुगतान प्रणाली को औपचारिक रूप में आगे बढ़ाएगा।’’
एनपीसीआई द्वारा कुल 24 भारत बिल भुगतान ऑपरेटिंग यूनिट (बीबीपीयूयू) प्रमाणित किए गये हैं। इसमें तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 10 निजी बैंक, पांच सहकारी बैंक और छह गैर-बैंक बिलर एग्रीगेटर्स प्रमाणित इकाइयां शामिल हैं।
यह उम्मीद है कि बीबीपीएस सिस्टम में पॉवर क्षेत्र शामिल हो जाने पर वर्तमान वित्त वर्ष में 25 अरब डिजिटल लेनदेन पैदा होंगे।