एनडीडीबी के लोगो से डेरी सहकारिताओं तथा उत्पादक संस्थाओं को मिलेगी ब्रांड पहचान : राधा मोहन
नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने यहां गुरूवार को कृषि भवन, में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के गुणवत्ता चिह्न “लोगो” को लांच किया। उन्होंने इस मौके पर चयनित 14 निर्माण इकाइयों को दूध एवं दूध उत्पादों के लिए खादय सुरक्षा तथा गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों को अपनाने तथा गुणवत्ता चिह्न मापदंडों का पालन करने पर प्रमाण पत्र भी दिये।
कृषि मंत्री ने कहा कि एनडीडीबी गुणवत्ता चिह्न “लोगो” का एक समूह ब्रांड पहचान के रूप में शुभारंभ कर रहा है। इस “लोगो से डेरी सहकारिताओं तथा उत्पादक संस्थाओं को ब्रांड पहचान तथा प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। इससे डेरी सहकारी ब्रांडों पर उपभोक्ता के विश्वास को मजबूती मिलेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य उत्पादक से उपभोक्ता तक संपूर्ण वेल्यू चेन में प्रक्रियात्मकक सुधार लाना है ताकि गुणवत्ता दूध व दूध उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
कृषि मंत्री ने बताया कि ग्यारह सदस्यीय प्रबंध समिति इस गुणवत्ता चिह्न की गतिविधियों की देखरेख करेगी। इसके सदस्यों में डीएडीएफ के प्रतिनिधि, चार महासंघों के प्रबंध निदेशक, एफएसएसएआई के प्रतिनिधि तथा डेरी उद्योग के दो विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसमें केवल वे ही डेरी इकाइयां पात्र हैं जो दूध एवं दूध उत्पादों के लिए खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों को अपनाती हैं तथा गुणवत्ता चिह्न में दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों का पालन करती हैं।
गुणवत्ता चिह्न तीन वर्षों की अवधि के लिए मान्य होगा बशर्ते कि गुणवत्ता तथा खाद्य सुरक्षा मानकों का निर्वहन तथा अनुबंध के नियम एवं शर्तों का पालन किया जा रहा है। गुणवत्ता चिह्न के मापदंडों के अनुपालन की जांच के लिए वर्ष में एक बार निगरानी लेखा परीक्षा की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जनवरी 2016 में शुरू हुई इस पहल के समय से एनडीडीबी को देशभर की सहकारिताओं से 55 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इससे देशभर की विभिन्न डेरी इकाइयों में गुणवत्ता उपायों को अपनाने के लिए अपेक्षित जागरूकता भी पैदा होगी।
इस मौके पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री सुदर्शन भगत ने कहा “प्रतिभागी डेयरी इकाइयों के परिचालन संबंधी मापदंडों की निगरानी एवं प्रमाणन किया जाएगा। मूल्याकंन दो चरण वाली प्रकिया है जिसमें पूर्व मूल्यांकन एवं अंतिम मूल्यांकन शामिल है। इस अवसर पर राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अध्य्क्ष दिलीप रथ, और डीएएचडीएंडएफ के सचिव देवेंद्र चौधरी भी उपस्थित थे।