नई दिल्ली, (हि.स.)। काफी लंबे समय से घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को सरकार बेचने के लिए संभावित खरीदारों की तलाश कर रही है। लेकिन वह अब इसको टुकड़ों में बेचने के विकल्प पर भी विचार कर रहीं है। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
माना जा रहा है कि एयर इंडिया को टुकड़ों में बेचने के पीछे सरकार की मंशा खरीददारों के लिए इसे फायदे का सौदा बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसकी बिक्री की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
विदित हो कि एयर इंडिया को बेचने के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है। पांच सदस्यीय इस कमेटी की अध्यक्षता अरुण जेटली कर रहें हैं। सरकार चाहती है कि एयर इंडिया को किसी भारतीय कंपनी को ही बेचा जाए। इसके लिए सरकार के पास दो विकल्प हैं - टाटा समूह और इंडिगो। दोनों ही कंपनीयों ने इस सौदे में अपनी दिलचस्पी दिखाई है।
महाराजा मैस्कॉट के रूप में प्रसिद्ध एयर इंडिया पर आज 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इनमें 28,000 करोड़ का ऋण कार्यशील पूंजी के रूप में है, जबकि 4,000 करोड़ रुपये का ब्याज बकाया है। पिछले दस वर्षो से कंपनी कभी भी लाभ में नहीं रही है। एक समय देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी रही एयर इंडिया का मार्केट शेयर जेट एयरवेज और इंडिगो जैसी कंपनीयों के आने के बाद महज 13 प्रतिशत ही रह गया है। इसे कर्ज से उबारने के लिए की गई हर संभव कोशिश विफल ही रही है।
उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की कुल छह सहायक कंपनियां हैं, जिनमें तीन को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन तीन कंपनियों को कुल 4.6 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। मौजुदा समय में एयर इंडिया में 40,000 कर्मयारी हैं और कंपनी के श्रम संघ में 2500 कर्मचारी हैं। इन सभी कर्मचारियों ने एयर इंडिया को बेचने का विरोध किया है।