ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाट
बिज़नेस
कैट व्यापारियों की जीएसटी समन्वय समिति बनाने की मांग
By Deshwani | Publish Date: 7/7/2017 7:48:31 PM
कैट व्यापारियों की जीएसटी समन्वय समिति बनाने की मांग

नई दिल्ली,  (हि.स.)। देशभर में एक जुलाई से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में व्यापारियों को आ रही समस्याओं के मद्देनजर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से जुडे व्यापारियों ने जिला स्तर पर जीएसटी समन्वय समिति बनाने की मांग की है। 

प्रमुख व्यापारी नेताओं ने सम्मेलन में जीएसटी को आर्थिक लोकतंत्र की दिशा में उठाया गया पहला ठोस कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे व्यापारियों को विभिन्न ऑथोरिटियों एवं कई करों के मकड़जाल से निजात मिली है| हालांकि साथ ही, व्यापार जगत के नेताओं ने जीएसटी परिषद से आग्रह किया है कि विभिन्न टैक्स स्लैबों में असमानता, विसंगतियों और विरोधाभासों को दूर किया जए और प्रक्रियाओं को सरल और आसान बनाया जाए ताकि जीएसटी कर व्यवस्था के तहत एकजुट तरीके से स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा मिल सके। कुल 23 राज्यों के व्यापारी नेताओं ने इस बैठक में भाग लिया और एकमत के साथ सरकार से जिला स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापार जगत के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए जीएसटी समन्वय समिति बनाने के लिए आग्रह किया।
वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करते हुए व्यापारियों ने कहा कि सरकार के सतत प्रयासों के बावजूद, विशेष रूप से छोटे शहरों में व्यापारियों के बीच जीएसटी के आधारभूत तत्वों एवं इसके अनुपालन के दायित्वों खास तौर पर करों को चार्ज करने या इनवॉइस रेज करना, रिवर्स प्रभार के आवेदन, लगाए गए टैक्स दर और तदनुरूप एचएसएन कोड के ज्ञान की कमी, कंपोजिट एवं मिक्स सप्लाई पर टैक्स की दर, ब्रांडेड और गैर ब्रांडेड के बीच भेद इत्यादि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई और इस वजह से विशेष रूप से करों को चार्ज करने में प्रक्रियात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार व्यापारियों को जीएसटी पोर्टल तक पहुंचने में भी कई समस्याएं पेश आ रही हैं| साथ ही किसी विशेष फॉर्म को डाउनलोड करने में और अन्य भी विभिन्न व्यावहारिक समस्याओं का उन्हें सामना करना पड़ रहा है जिनका तुरंत समाधान निकाला जाना आवश्यक है ताकि जीएसटी कर व्यवस्था में त्वरित एवं निर्बाध संक्रमण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। देशभर में व्यापारी वर्ग द्वारा व्यापक तौर पर जीएसटी को एक प्रगतिशील कराधान प्रणाली के रूप में अपना लिया गया है| हालांकि, खुदरा व्यापार के कुछ वर्गों ने अपनी चिंताओं और मुद्दों को उठाया है जिनका ध्यान रखना एवं उनकी चिंताओं का समग्र समाधान निकालना सरकार के लिए आवश्यक है।
कैट ने सरकार को सुझाव दिया है कि वे केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों दोनों ही स्तरों पर व्यापार और वाणिज्य जगत के साथ मिलकर जीएसटी के मूल्यांकन के लिए मीटिंग का आयोजन करें और सभी जमीनी मुद्दों को समझने और उन्हें तर्कसंगत बनाने की दिशा में जरूरी प्रयास करें। इस तरह से नई प्रणाली में सभी का अधिक आत्मविश्वास जगेगा और भ्रम की स्थिति तुरंत व्यापक स्पष्टता में परिवर्तित हो जाएगी। व्यापारिक बिरादरी सरकार के इस नए कर सुधार को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में बाधाओं को दूर करने के लिए इसके निर्बाध संक्रमण में सक्रिय रूप से शामिल है| फिर भी डिजिटलकृत प्रक्रियाओं और नए व्यावसायिक स्वरूपों को अपनाने में छोटे शहरों में व्यापारियों को चुनौतियां पेश आ रही हैं। तकनीकी जागरूकता एवं शिक्षा की कमी इसका प्रमुख कारण है और इसलिए, कैट ने देश भर में डिजिटल रथ चलाकर एक आंदोलन की घोषणा की है जिसके अंतर्गत क्लास-ऑन-द-मूव का आयोजन किया जा रहा है, जिससे देश के कोने-कोने में व्यापारियों को इस ज्ञान का वितरण सुनिश्चित किया जा सके| साथ ही व्यापारियों को तकनीकि द्वारा संचालित बिजनेस ऑपरेशन को अपनाने के लिए शिक्षित किया जा सके ताकि जीएसटी टैक्स व्यवस्था में उनका निर्बाध संक्रमण सुनिश्चित हो सके।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतीया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने देशभर में वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए कहा, हम छोटे शहर में जीएसटी कराधान प्रणाली में संक्रमण के लिए व्यापारियों को सब्सिडी या प्रोत्साहन दिए जाने के प्रावधानों की सिफारिश करते हैं क्योंकि उनके द्वारा प्रौद्योगिकी संचालित व्यपार प्रक्रियाओं को तेजी से अपनाया जाना आवश्यक है| इसके लिए उन्हें अपना समय और पैसा दोनों ही का निवेश करना आवश्यक है। इसी तरह, देश भर में 9 महीने की अंतरिम अवधि का प्रावधान, व्यापारियों के बीच दंड के डर को कम करने और नई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को सीखने पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में बेहद प्रेरणादायक साबित होगा| साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी कड़ी मेहनत के योगदान को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
कैट ने सरकार को 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब के तहत उत्पादों और सेवाओं की श्रेणी पर फिर से देखने और विचार करने का सुझाव भी दिया गया है क्योंकि कई उत्पादों जैसे ऑटो स्पेयर पार्ट्स, हाउसिंग उद्योग की वस्तुओं आदि को निम्न कर दरों वाले वस्तुओं के वर्ग में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। साथ ही, सरकार को चाहिए 'डिजिटल इंडिया' के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के विचारों के अनुरूप डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय टूल्स एवं सेवाओं जिन पर पहले 15 प्रतिशत का टैक्स रेट था, को 18 प्रतिशत के टैक्स स्लैब के तहत शामिल करने के अपने फैसले की फिर से समीक्षा करनी चाहिए।”
कैट नेताओं ने कहा कि नई कर व्यवस्था, कर चोरी को कम से कम करने में और व्यापार को आसान बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी और साथ ही उत्पादों और सेवाओं की कीमत में कमी आएगी और यह ग्राहकों पर करों के बोझ को कम करने वाला साबित होगी। उन्होंने कहा कि पूरा देश आज वन मार्केट में बदल गया है जिससे व्यवसायों के विकास के लिए व्यापक अवसर प्रदान होगा कैट ने सरकार से आग्रह किया है कि बाजारों में टेक-कियोस्क स्थापित किया जाए जिससे व्यापारियों और लोगों को डिजिटल प्रक्रियाओं को समझने में सहायता मिल सके। साथ ही, सरकारी प्रतिनिधियों और व्यापार जगत के समकक्षों व समूहों के बीच नियमित संवाद, विभिन्न मार्केटों और उपभोक्ताओं द्वारा वर्तमान में सामना किए जा रहे चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगी और जीएसटी एक यथार्थवादी राजकोषीय सुधार लाने वाली कर व्यवस्था बन सकेगी।
 
 
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS