नई दिल्ली, (हि.स.)। प्रतिस्पर्धा के बीच सुरक्षा संबंधी नियमन के चलते पिछले वित्तीय वर्ष में भारत के मसालों के निर्यात में रिकॉर्ड 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मूल्य और मात्रा दोनों दृष्टिकोण से हुई है। 2015-16 में जहां 16238.23 करोड़ रुपये के 8,43,255 टन मसाले और संबंधित उत्पाद निर्यात हुए वहीं 2016-17 में 17664.61 करोड़ रुपये के 9,47,790 टन मसाले और संबंधित उत्पाद का निर्यात हुए।
स्पाइसिस बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. जयथिलक ने कहा, ‘‘भारत ने पिछले सभी निर्यात रिकॉर्डों को पार किया है और वैश्विक बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते गुणवत्तापूर्ण मसालों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा किया है। अधिक संतोषजनक तथ्य यह था कि निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि सख्त खाद्य सुरक्षा नियमों के चलते आई जो अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार को परिभाषित और निर्धारित करती है।’’
वित्त वर्ष 2016-17 में मिर्च की सबसे अधिक मांग देखी गई। करीब 5,070.75 करोड़ रुपये की 4,0,250 टन मिर्च निर्यात हुई जो मात्रा के नज़रिये से 15 फीसदी और मूल्य के नज़रिये से 27 फीसदी अधिक है। जीरा दूसरा सबसे अधिक निर्यातक मसाला रहा। इसमें मात्रा के नज़रिये से 22 फीसदी और मूल्य के नज़रिये से 28 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। 2016-17 में भारत से 1963.20 करोड़ रुपये मूल्य का कुल 1,19,000 टन जीरा का निर्यात किया गया था।
हल्दी के लिए वैश्विक मांग विशेषकर फार्मास्यूटिकल सेक्टर में बढ़ी है। इसका निर्यात 1,16,500 टन के आंकड़े तक पहुंच गया जिसकी कीमत 1,241 करोड़ रुपये है। 2015-16 में 53.28 करोड़ रुपये की 5371 टन अजवायन निर्यात हुई। वहीं 2016-17 में बढ़कर 62.46 करोड़ रुपये की 6250 टन अजवायन निर्यात हुई।
डॉ जयथिलक ने बताया कि मसाला बोर्ड बड़ी इलायची के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है विशेष रूप से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में, जो मूल रूप से कार्बनिक क्षेत्र है। इसके चलते इसके निर्यात में मात्रा के नज़रिये से 30 प्रतिशत की वृद्धि और मूल्य के नजरिये से 9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
मसाला निर्यात के आंकड़ों में पारंपरिक मसालों से संसाधित और मूल्यवर्धित मसालों की ओर जाती आहार प्राथमिकताओं का बदलाव देखा गया है। जिससे इस तरह के मसालों में 2015-16 की तुलना में मात्रा और मूल्य दोनों में वृद्धि हुई है।