दरभंगा, (हि.स.)| ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अंतर्गत संगीत एवं नाट्य विभाग में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सम्पोषित त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में नाट्य विषय के विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा प्रारंभ में इन्ट्रोडक्शन एक्सरसाइज करवाई गई जिसमें उनकी एकाग्रता, ध्यान और कानरी पर कार्य किया गया। पेयर गेम के द्वारा स्वयं को पहचानने पर कार्य किया गया, तदुपरांत कल से सम्बन्धित कार्य किया गया जिसमें उन्होंने प्रेक्षागृह में ही सुरंग, पहाड़, बारिश, पार्क इत्यादि को महसूस करने की कला तथा क्षमता को विकसित किया। अगले क्रम में ग्रूप (समूह एकता) की वृद्धि की गई जिसमें समूह में मिलकर विभिन्न प्रकार की चीजें रची गई। साथ ही, भावना को बढ़ाने वाले उसको विकसित करने सम्बन्धी अभ्यास किया गया।
जिसमें छात्र - छात्राओं ने विभिन्न भावों में जाकर उसे विकसित किया यथा - प्रेम, हास्य, करूण, शोक, रौद्र, वीर, घृणा, अद्भुत इत्यादि। कहते हैं कि एक चित्रकार अपने रंग और ब्रश से खेलता है, एक गायक अपने सुरों से खेलता है, एक तबला वादक अपनी अंगुलियों से खेलता है, उसी तरह एक अभिनेता अपने भावों से खेलता है और सभी चीजें अभिव्यक्त करता है। इस कार्यशाला में मूल रूप से अभिनेता के भाव और एक्सप्रेशन पर कार्य किया गया ।