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बिहार
भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में दहेज प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन की ली शपथ
By Deshwani | Publish Date: 12/12/2017 10:44:33 AM
भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में दहेज प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन की ली शपथ

पूर्णिया  (हि .स )।प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय, विश्वदिग्घी, कटिहार की 25 छात्राओं के साथ 2 शिक्षकों ने भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान छात्राओं को सबसे पहले प्राचार्य डाॅ0 राजेश कुमार ने दहेज प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन की शपथ दिलायी साथ ही साथ उन्होंने छात्राओं से कहा कि आप सभी लोग युवा एवं देश के भविष्य हैं, इसलिए आप सभी को समाज में फैली हुई दहेज प्रथा एवं बाल विवाह नामक बीमारी को समाप्त करने हेतु स्वयं के साथ साथ अपने आस पास के लोगों को जागरुक करने का प्रयास करें, तभी आने वाले समय में इससे मुक्ति मिल सकती है। इस अवसर पर प्राचार्य डाॅ0 राजेश कुमार ने छात्राओं को बताया की महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2010 में बिहार की तीन बार मुख्य मंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री जी के नाम पर वर्तमान मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार द्वारा किया गया। कृषि की तकनीकी जानकारी पर चर्चा करते हुए अपने सम्बोधन में प्राचार्य ने बच्चों को बताया की प्रकृति से हमें जल, वायु, प्रकाश एवं स्वस्थ मृदा उपहार स्वरुप प्राप्त हुई है। किसी भी पौधे का जीवन चक्र इनके बिना पूरा नहीं हो सकता, पौधे मृदा से जल एवं पोषक तत्व ग्रहण करते हैं। मिट्टी में सभी पोषक तत्वों के अलावा कार्बनिक पदार्थ भी प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है जिसमें मृदा सूक्ष्म जीव अपने जीवन चक्र को पूरा कर मिट्टी को उर्वर बनाने का कार्य करते हैं। यदि हमें अपने जीवन को स्वस्थ्य एवं सुरक्षित रखना है तो संतुलित आहार चाहिए। इसी प्रकार मिट्टी से पौधों को संतुलित आहार न मिलने के स्थिति में पौधे में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिसके कारण हमारे आपके शरीर में भी विभिन्न प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं क्योंकि हम सभी अनाज, फल, सब्जी एवं दूध का सेवन करते हैं जो कि प्रमुख रूप से मिट्टी, पानी, के द्वारा ही पौधों के माध्यम से अनाज तक पहुँचता है, इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मिट्टी ही पौधों का पेट है। एक पुरानी कहावत है जैसा खाआगेे अन्न वैसा रहेगा तन व मन। उन्होने महाविद्यालय में शिक्षा, के अतिरिक्त शोध, प्रसार एवं प्रशिक्षण का कार्य चलता रहता है, इसके साथ साथ कृषि अध्यनरत छात्र/छात्राओं के व्यक्तित्व विकास हेतु विभिन्न गतिविधियाँ महाविद्यालयक के अन्य इकाईयों द्वारा आयोजित की जाती रहती है। बिहार में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2010में बिहार सरकार द्वारा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर की स्थापना के साथ-साथ विभिन्न महाविद्यालयों की भी स्थापना की गयी है। बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक महाविद्यालयों में कृषि विधा से 10 ़2उŸाीर्ण छात्र/छात्राओं के प्रवेश हेतु 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित किया गया है, तथा अन्य 50 प्रतिशत स्थान हेतु गणित एवं विज्ञान के छात्रों के प्रवेश के लिए आरक्षित है। साथ ही साथ कृषि शिक्षा को बढावा देने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा कृषि स्नातक शिक्षा अध्यनरत छात्र/छात्राओं को प्रतिमाह 2000 हजार रूपया छात्रवृति एवं 6000 रू॰ वार्षिक रूप से किताब आदि खरीदने हेतु प्रदान किया जाता है। कृषि की पढ़ाई में अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैे क्योंकि सरकार द्वारा कृषि की पढाई हेतु आर्थिक मदत प्रदान की जा रही है। इस अवसर पर मृदा वैज्ञानिक ड़ा. पंकज कुमार यादव ने छात्राओं को पुस्तकालय, राष्ट्रीय सेवा योजना रेड रिबन क्लब, एंेटी ड्रग क्लब, कम्प्युटर लैब, विभिन्न प्रयोगशालाएं, तथा अन्य गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। श्री एस पी सिन्हा ने कृषि स्नातक प्रवेश की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष राज्य स्तर पर प्रवेश हेतु प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन बिहार सरकार करती है जिसे बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा के नाम से जाना जाता है।
प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय, विश्वदिग्घी, कटिहार के छात्राओं में मोनी, मीणा, सरिता, पार्वती, शिखा, ममता एवं अंजली आदि छात्राओं के साथ प्राध्यानाध्यापक श्री मथुरानन्द यादव एवं अन्य शिक्षक मोहम्मद सालिक आजम उपस्थित रहे।
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