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बिहार
मिथिला विश्वविद्यालय के संगीत एवं नाट्य विभाग में दो विषयों की कार्यशाला का आयोजन
By Deshwani | Publish Date: 12/12/2017 10:39:46 AM
मिथिला विश्वविद्यालय के संगीत एवं नाट्य विभाग में दो विषयों की कार्यशाला का आयोजन

दरभंगा, (हि.स.)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अंतर्गत संगीत एवं नाट्य विभाग में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संपोषित दो-दो विषयों की राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। जिसके उद्घाटन सत्र में संगीत एवं नाट्य विषयक दो राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ उपस्थित थे। मगध महिला महाविद्यालय के संगीत विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डा नीरा चौधरी एवं ग्वालियर स्थित राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सह कोआर्डिनेटर डॉ. हिमांशु द्विवेदी-दोनों विषयों के विशेषज्ञों सहित महाविद्यालय निरीक्षक प्रो. रजी अहमद , अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. भोला चौरसिया ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया ।अतिथियों द्वारा मंच पर आसन ग्रहण के बाद विभाग के छात्र - छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई । विभागाध्यक्षा प्रो.लावण्य कीर्ति सिंह ' काव्या ' ने विशेषज्ञों के संक्षिप्त परिचय एवं योगदान को प्रस्तुत करते हुए आगत अतिथियों का स्वागत किया तथा धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पुष्पम नारायण ने किया ।
अपने उद्बोधन में महाविद्यालय निरीक्षक एवं अध्यक्ष छात्र कल्याण ने ऐसी कार्यशालाओं की महत्ता पर प्रकाश डाला ।
नाट्य विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने भरत के नाट्य शास्त्र में निहित नाट्य सहित नाट्य के अन्य तथ्यों की भी चर्चा करते हुए कहा कि अपने सोदाहरण - व्याख्यान में इन्हीं बिन्दुओं पर प्रकाश डाला जाएगा। जिसमें प्रायोगिक पक्ष को भी समाहित किया जाएगा । संगीत की विशेषज्ञा डॉ. नीरा चौधरी ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से संगीत के विद्यार्थियों को सहज लाभ होता है और यह अनूठा अवसर है जब दो - दो विषयों की राष्ट्रीय कार्यशालाएं एक साथ चल रही हैं । उन्होंने तकनीकी सत्र में राग एवं रागांग की वृहत् चर्चा के बारे में विस्तार से बताया । 
संगीत के प्रथम तकनीकी सत्र में डा नीरा चौधरी ने सारंग अंग का उपस्थित छात्र - छात्राओं को गाकर रियाज करवाया। साथ ही इस अंग के अन्य रागों ,यथा- मध्यमाद सारंग, मल्हार, मेघमल्हार,श्याम कल्याण इत्यादि रागों को भी विस्तार से बता कर गवाया । वृन्दावनी सारंग में झपताल की बन्दिश भी सिखाया ।
नाटक के तकनीकी सत्र में विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने नाट्य शास्त्र के 11 अंग व भरत की नाट्य परम्परा के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी ।
इस कार्यशाला को लेकर विद्यार्थियों के बीच भरपूर उत्साह देखा गया।
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