छपरा, (हि.स.)। रत्न धारण करने के पहले कुंडली दिखाना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर लाभ के बजाय हानि हो सकती है। यह कहना है ज्योतिषाचार्य आनंद कुमार का । उनका कहना है कि रोगों को नष्ट करने में वाले रत्न मणि का प्रयोग बढ़ा है और रत्न भाग्योन्नति में सहायक होते है लेकिन यदि रत्नों का कुंडली के अनुसार ज्ञान प्राप्त करके धारण नहीं करने से रत्न जातक को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि रत्न रोगों से लड़ने की शक्ति भी देते हैं।
आयुर्वेद में रत्नों के भस्म द्वारा रोग निवारण के अनेक प्रयोग बताए गए हैं। अतः रत्नों में ग्रहों की ऊर्जा होती है, जो जातक को स्वस्थ्य बल भी प्रदान करती है। अतः रोग के अनुसार रत्न धारण करें जैसे कि पन्ना - स्मरण शक्ति के लिए धारण करें। नीलम - गठिया, मिर्गी, हिचकी एवं नपुंसकता को नष्ट करता है। फिरोजा -दैविक आपदाओं से बचाने के लिए फिरोजा धारण करें। मरियम-बवासीर या बहते हुए रक्त को रोकने के लिए। माणिक-रक्त वृद्धि के लिए। मोती-तनाव व स्नायु रोगों के लिए। किडनी स्टोन -किडनी रोग निवारण के लिए। लाडली -हृदय रोग, बवासीर एवं नजर रोग के लिए धारण कर सकते हैं। मूंगा, मोती - मुंहासों के लिए धारण करें। पन्ना, नीलम, लाजवर्थ - पेप्टीक अल्सर में उपयोगी है।
पुखराज,लाजवर्थ, मनुस्टोन - दांतों के लिए। माणिक, मोती, पन्ना - सिरदर्द के लिए। गौमेथ या मून स्टोन -गले की खराबी के लिए।माणिक, मूंगा, पुखराज - सर्दी, खांसी, बुखार जिसे बार -बार होता है, वह धारण करें। मूंगा, मोती, पुखराज-बार-बार दुर्घटना होने पर धारण करें। दुर्घटना से बचने के लिए। तांबे की चेन-कुकुर खांसी के लिए। मूंगा, मोती, पन्ना -मूंगा, मोती, पन्ना एक ही अंगुठी में
मोतियाबिंद को नष्ट करने के लिए धारण करें। मूंगा, पुखराज- कब्ज मुक्ति के लिए। पन्ना, पुखराज, मूंगा,-पन्ना, पुखराज, मूंगा,एक ही अंगुठी में ब्रेनट्युमर के लिए धारण करें। मोती, पुखराज-चांदी की चेन में हर्निया बीमारी के लिए धारण करें। रत्नों को ऐसे अनेकों प्रकार से अनेकों बीमारियों को नष्ट करने के लिए स्वास्थ्य बल प्राप्ति के लिए धारण करते हैं। कोई भी रत्न शुभ-अशुभ दोनों प्रकार से फल प्रदान करता है। अतः अधिक सुखफल प्राप्ति के लिए अपनी कुण्डली किसी प्रतिष्ठित ज्योतिषी को दिखाकर ही रत्न धारण करना चाहिए ।