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गलत निर्णय से किसी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं : उच्चतम न्यायालय
By Deshwani | Publish Date: 5/12/2017 5:25:34 PM
गलत निर्णय से किसी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं : उच्चतम न्यायालय

पटना, (हि.स.)| किसी को भी नियुक्ति से वंचित करना न केवल संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है बल्कि उसके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है और ऐसा कार्य करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है। यह बातें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एस.ए.बोबडे और न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव की खंडपीठ ने केन्द्र सरकार की ओर से दायर सिविल अपील पर सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरक्षण से सम्बंधित निजी पुस्तिका के आधार पर सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद के अभ्यर्थी को अयोग्य किये जाने के तत्कालीन केन्द्र सरकार का निर्णय गलत था। साथ ही साथ अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार के गलत निर्णय से अभ्यर्थी अयोग्य घोषित किये गये हैं। ऐसे में यदि उनकी आयु सीमा नौकरी पाने के लिए निर्धारित आयु सीमा को पार भी कर चुकी हो तो भी उसे उक्त पद पर हर हाल में नियुक्त किया जाय। बशर्ते कि वे शारीरिक रूप से स्वस्थ हों तो आयु सीमा की कोई बाधा इनकी नौकरी में नहीं होगी।

गौरतलब है कि वर्ष 2010 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आठ उम्मीदवारों ने सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर भर्ती होने के लिए आवेदन किया था। ये उम्मीदवार उत्तराखंड के रहने वाले थे। उस समय उत्तराखंड वजूद में आया ही था। इस कारण उसके पास अपनी ओबीसी की केन्द्रीय सूची नहीं थी। केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने जाति और समुदायों से सम्बंधित स्वामी कम्पाइलेशन एवं रिजर्वेशन एंड काउंसेशंस पुस्तक का हवाला देकर पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले इन आठ उम्मीदवारों की दावेदारी को खारिज कर दिया था। ये उम्मीदवारी सैनी, मोमिन (अंसारी), गुज्जर और कहार जाति से सम्बंधित है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश सिंह ने अदालत को बताया कि ये सभी जातियां संयुक्त उत्तर प्रदेश की केन्द्रीय सूची में ओबीसी के रूप में दर्ज थीं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की ओबीसी सूची में शामिल उत्तराखंड के उम्मीदवारों को केन्द्र सरकार की भर्तियों में आवेदन करने की तबतक यह छूट दी गई थी जबतक कि नए बने राज्य की अपनी केन्द्रीय सूची तैयार न हो जाय। आयोग ने 28 जुलाई 2011 को एक पत्रा भी जारी किया था जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड के लिए केन्द्रीय ओबीसी सूचीबनाने की प्रक्रिया चल रही है। जबतक उत्तराखंड ओबीसी की यह सूची तैयार हो तबतक केन्द्रीय भर्तियों में आवेदकों के लिए उत्तर प्रदेश की सूची मान्य होगी। यह सूची 8 दिसम्बर 2011 को तैयार हुई।

 

 

 

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