छपरा, (हि.स.)। छपरा जिले के नगर ओपी क्षेत्र के अफौर गांव के रहने निवासी धन्नू राजा को गोपालगंज जिले से शनिवरा को एनआईए की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। टीम ने उसको आतंकियों से जुड़े होने के संदेह में पकड़ा है। एनआईए की टीम को शक है कि वह लश्कर- ए- तैयबा से जुड़ा है, साथ ही खाड़ी देशों से हवाला के जरिए अलगाववादियों और आतंकियों तक पैसे पहुंचाता है। इसी आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि अफौर गांव की विशिष्ट पहचान रही है और बेहतर शिक्षा-दीक्षा के लिए ही धन्नु के परिजनों को जाना जाता है । धन्नू राजा अपने मामा के घर पर रहता है। वहां रहकर धन्नू राजा पढ़ाई करता था। आज तक उसके किसी भी गलत संगत या गतिविधि में संलिप्त रहने की बात कभी सामने नहीं आई। ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि एनआईए की टीम धन्नू राजा को जैसा मान रही है वैसा वह नहीं हो सकता है।
वह स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र है और हमेशा छात्र हित को लेकर विभिन्न संगठनों के माध्यम से आंदोलन से जुड़ा रहा है। दुश्मनी के कारण किसी के द्वारा साजिश के तहत उसे फंसाया गया है। भले ही वह बचपन से गोपालगंज में रहता था लेकिन पैतृक गांव अफौर के लोगों से उसका हमेशा से जुड़ाव रहा है।
धन्नू के दादा व सेवानिवृत्त शिक्षक मो. अब्दुलाह का कहना है कि एक गहरी साजिश के तहत मेरे पोते धन्नू को फंसाया जा रहा है। हमारा पूरा परिवार शिक्षक है। हम लोग अपने देश के प्रति वफादार और देशभक्त है। धन्नू एनएसयूआई का गोपालगंज में जिला सचिव है और वह छात्रों के हित के लिए सिर्फ राजनीती करते हुए बहुत तेजी से राजीनीति में उंचे ओहदे के तरफ बढ़ रहा था। यह बात उसके विरोधियो को रास नहीं आई। जिसके कारण गलत तरीके से मेरे धन्नू को फंसाया गया है। यह भी हो सकता है कि अपने नाना की संपति के रक्षा करने के करण इसके नाना के पड़ोसी भी द्वेष रखते हैं। वहां के क्षेत्र के लिए उच्च ओहदे पर पहुंच कर कुछ करना चाहता था। उसकी तरक्की उसके विपक्षियों को रास नहीं आई और उसे फसा दिया गया।
धन्नू के अच्छे मित्र आलोक का कहना है कि नाना के सम्पति के रखवाले के रूप में गोपालगंज रहा करता था हो सकता है कि उसके नाना के सम्पति को हड़पने के लिए एक साजिश के तहत धन्नू को फंसाया जा रहा है। जब भी धन्नू अफौर आता था तो हम लोगों से मिलता था। जितना दिन वह अफौर में रहता था कोई भी गलत गति विधि हम लोगों को नजर नहीं आती थी।
गांव के सावलिया उपाध्याय कहते हैं कि जब भी धन्नू गांव आता था मुझसे मिलकर मेरा पैर छुकर प्रणाम करता था। हमारे नजर में उसको साजिश के तहत फंसाया जा रहा है।