ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाट
बिहार
विवादों में पड़ते देख वीर कुंवर सिंह विवि के कुलपति ने दिया इस्तीफा
By Deshwani | Publish Date: 30/11/2017 10:33:44 AM
विवादों में पड़ते देख वीर कुंवर सिंह विवि के कुलपति ने दिया इस्तीफा

आरा, (हि.स.)। बिहार के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय,आरा के कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ.सैयद मुमताजुद्दीन ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा कुलाधिपति सह राज्यपाल सत्य पाल मलिक को भेज दिया है। अपने इस्तीफे का कारण उन्होंने व्यक्तिगत बताया है । सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों का सहयोग नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने इस्तीफा राजभवन भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में तैयार रोड मैप के बाद बनी सर्च कमिटी के द्वारा आवेदन आमंत्रित कर साक्षात्कार के बाद 25 जनवरी 2017 को प्रोफ़ेसर सैयद मुमताजुद्दीन को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया था।
थ। इसके पहले वे एल एन मिथिला विश्वविद्यालय में एक फरवरी 2014 से 23 जनवरी 2017 तक प्रतिकुलपति के पद पर रहे थे।प्रोफ़ेसर सैयद मुमताजुद्दीन की कुलपति के पद पर नियुक्ति भी विवादों में आती जा रही थी। प्रोफ़ेसर के पद पर उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठना शुरू हो गया था। कुलपति के व्याख्याता से प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया पर नजर डाले तो उनकी प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्ति पर सवाल खड़े होना जायज है। वे 9 नवम्बर 1982 से 8 नवम्बर 1990 तक बीआरए यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर के एमएस एसजी कॉलेज अरेराज और फिर एलएस कॉलेज मुजफ्फरपुर में व्याख्याता के पद पर रहे। फिर 9 नवम्बर 1990 से 01 जुलाई 1996 तक एल एस कॉलेज मुजफ्फरपुर में रीडर रहे। पुनः उन्होंने बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर के रसायन शास्त्र पीजी विभाग में स्थानांतरण कराकर 09 जुलाई 1996 से 08 नवम्बर 1998 तक रीडर के पद पर रहे। जब वे 09 जुलाई 1996 को रीडर के पद पर रहते हुए एल एस कॉलेज मुजफ्फरपुर से यूनिवर्सिटी पीजी विभाग में स्थानांतरण कराकर आये तो नियमतः उन्हें 4 साल तक प्रोन्नति के लिए इंतजार करना पड़ता। नियमतः वे पी जी विभाग में रहते 4 साल तक अन्य की वरीयता को प्रभावित नहीं कर सकते थे किंतु उन्होंने 4 साल तक प्रोन्नति के लिए इंतजार किये बिना ही 09 नवम्बर 1998 को ही प्रोफ़ेसर के पद पर प्रोन्नति ले ली। यहीं प्रोफ़ेसर की उनकी नियुक्ति गलत हो गई । बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत मेधा प्रोन्नति स्कीम के अंतर्गत व्याख्याता से रीडर में प्रोन्नति के लिए 8 साल और फिर रीडर से प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्ति के लिए और 8 साल यानि व्याख्याता से प्रोफ़ेसर के पद पर प्रोन्नति के लिए 16 साल का अध्यापन कार्य व अनुभव होना जरूरी है। तब जब अध्यापन कार्य के दौरान बीच में अन्य कॉलेज या फिर यूनिवर्सिटी के पी जी विभाग में स्थानांतरण नहीं हुआ हो। अगर स्थानांतरण हुआ हो तो फिर 4 साल प्रोन्नति की प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकती है। प्रोफ़ेसर सैयद मुमताजुद्दीन ने स्थानांतरण के बावजूद 16 वर्षो के अध्यापन कार्य करते हुए प्रोफ़ेसर बने। प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्ति का यह मामला भी अब विवादों में आ गया था और विश्वविद्यालय के गलियारे में यह मामला जोर शोर से लोगो की जुबान पर तैर रहा था। कुछ लोग इसे भी इस्तीफे का कारण बता रहे हैं । लोगों का कहना है कि एक बार फिर वीसी नियुक्ति का मामला कोर्ट में न चला जाए और उनकी नियुक्ति गलत न साबित हो जाय, इस बदनामी के भय से सैयद मुमताजुद्दीन ने कुलपति के पद से इस्तीफा दे दिया है। कारण चाहे जो भी हो लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उक्त कुलपति के कार्यकाल में एकेडमिक कैलेण्डर की धज्जियां उड़ गई है। सत्र काफी पिछड़ गया है और शिक्षक ,कर्मचारियों और छात्र छात्राओं के समक्ष जो समस्याएं खड़ी हो गई है उसकी भरपाई करने में नए कुलपति को काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS