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बिहार
तिलयुगा नदी के तांडव से सुपौल की 7 पंचायतें प्रभावित
By Deshwani | Publish Date: 25/11/2017 2:51:18 PM
तिलयुगा नदी के तांडव से सुपौल की 7 पंचायतें प्रभावित

सुपौल, (हि.स.)। नेपाल के पहाड़ी भाग से प्रवाहित होकर भारतीय भाग में बह रही तिलयुगा नदी साल दर साल निर्मली अनुमंडल के कुनौली और कमलपुर के लिये विकराल समस्या उत्पन्न कर रही है।
प्रत्येक मानसून सत्र में तिलयुगा का प्रकोप इस कदर होता है कि उपजाऊ भूमि को निवाला बनाने के साथ ही कई बस्तियां भी इसकी जद में आने लगती हैं। इस समस्या से निर्मली प्रखंड के तीन पंचायतें प्रभावित हैं। नदी जिन-जिन पंचायत से होकर गुजरती है, वहां की उपजाऊ भूमि भी जल जमाव की समस्या से समतल भूमि बनकर रह गयी है। कुनौली पंचायत के वार्ड 13 महादलित बस्ती भी इसी नदी के किनारे बसा हुआ है। 24 जुलाई, 2016 को पांच परिवारों का घर तिलयुगा नदी की तेज धारा में विलीन हो गया था और तीन पंचायतों के लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए थे ।
नदी के तांडव से यहां के किसान परेशान हैं। नेपाल के लोगों इसके बांध को लेकर विरोध प्रकट किया जाता रहा है। इस विरोध का खमियाजा भारतीय क्षेत्र में बसे यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लाखों की लागत से काउज-वे निर्माण आज भी अधूरा पड़ा है। 
नेपाल प्रभाग की एक दर्जन नदियों का दवाब भारतीय भाग में रहता है। इस दवाब से सीमावर्ती बाजार पूरी तरह बरसात के महीने में अस्त-व्यस्त रहता है। खासकर तिलयुगा नदी नो मैन्स लैंड पर बह रही है। पहले उक्त नदी 7 फीट गहरी थी परन्तु साल 2007 में आयी बाढ़ के दौरान नदी और समतल भूमि के समान हो जाने से नदी के बहाव की समस्या उत्पन्न हो गयी। इस नदी से बचने के लिये सीमा बांध में इंडो-नेपाल के मल्हनियां गांव के सामने टूटे हुए काउज वे निर्माण कार्य लगभग 84 लाख की लागत से कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य प्रमंडल वीरपुर द्वारा 4 मई, 2013 को कराया जा रहा था, लेकिन नेपाली लोगों के विरोध की वजह से उक्त कार्य को रोक दिया गया। मनरेगा के तहत 9 लाख 99 हजार 500 रुपये की लागत से बांध के सुदृढ़ीकरण व उच्चीकरण कार्य तत्कालीन मुखिया वाशीद अहमद द्वारा कराया जा रहा था लेकिन नेपाली दूतावास की शिकायत के आलोक में उक्त कार्य को रोक दिया गया, जिस वजह से यहां के लोग प्रभावित हो रहे हैं। 
तिलयुगा नदी को तटबंध में कैद कर दिये जाने के बाद किसानों और नदी किनारे की बड़ी आबादी को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस नदी के तीनों तरफ से जल संसाधन विभाग द्वारा तटबंध बना दिया गया है। कुनौली बॉर्डर से लेकर इंडो-नेपाल के पिलर संख्या-223 के समीप तक सीमा बांध की अगर विशेष मरम्मत कर दी जाये तो यहां के किसानों में खुशहाली लौट आयेगी। नदी के किनारे बसे लोगों को भी परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। सीमा बांध के निर्माण के लिये तत्कालीन डीएम कुमार रवि, आदेश तितिरमारे, एसडीएम मनोज कुमार, वर्तमान एसडीएम अरुण कुमार सिंह आदि इसका स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं। इन सब पदाधिकारियों द्वारा काफी प्रयास किये जाने के बावजूद सीमा बांध का निर्माण नहीं हो पाया। आज भी करोड़ों की योजना प्रभावित होकर रह गयी है।
निर्मली प्रखंड के कुनौली पंचायत से तिलयुगा नदी निकलकर कमलपुर, डगमारा, दिघिया, बेला, मझारी, हरियाही होते हुए निर्मली से आगे तक जाती है। निर्मली तक के नदी के किनारे की आबादी को प्रतिवर्ष जान-माल की क्षति उठानी पड़ रही है। कटाव स्थल के मुहाने की भूमि से लगी बस्ती को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। यहीं कारण है कि कुनौली पंचायत के वार्ड नं0-13 स्थित महादलितों की बस्ती नदी के प्रकोप से बचने के लिये ऊंचे स्थल की ओर खिसकती जा रही है और यह नदी पूर्णरूपेण बाहर निकल चुकी बस्ती के समीप के खेतों को अपने में समाहित करती जा रही है।
कुनौली पंचायत मुखिया सत्य नारायण रजक के उप प्रमुख हरेराम मेहता, पंचायत समिति सदस्य वाशीद अहमद, कमलपर, पंचायत समिति सदस्य शकील अहमद, मनोज कुमार मेहता, जीवछ मेहता, इंद्रदेव कामत आदि लोग कहते हैं कि इस पर दोनों देशो के अधिकारियों और आम नागरिकों को गंभीर होना होगा। भारतीय अधिकारियों को सीमा सुदृढ़ीकरण हेतु नेपाली अधिकारियों से बात करनी होगी तभी यहां के लोग सुरक्षित रह सकते हैं। बाजार के व्यापारी आनंद कुमार मेहता, सतीश गुप्ता, मों हसमत कहते हैं कि सीमा बांध के क्षत-विक्षत होने से बाजारवासी असुरक्षित हैं। भारतीय भूभाग में सीमा बांध पर काउजवे के कराये जा रहे निर्माण कार्य में नेपाली लोगों के द्वारा रोक लगाना तथा अधिकारियों का विरोध तर्कसंगत नहीं है। इस प्रकार वाद-विवाद उत्पन्न करना दोनों देशों के मैत्री सम्बंधों का उल्लंघन करना है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने अवरुद्ध किये गए कार्यों को पुनः प्रारंभ करने की मांग जिला पदाधिकारियों से की है।
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