बिहार
प्राकट्य महोत्सव में रागिनी के नृत्य से भावविभाेर हुए भक्तजन
By Deshwani | Publish Date: 24/11/2017 6:49:18 PMपटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क
मशहूर कत्थक नृत्यांगना रागिनी मिश्रा ने श्रीहित वृंदावन स्थित राधावल्लभ मंदिर में आयोजित 510 वें प्राकट्य महोत्सव में अपने नृत्य से संपूर्ण भक्तजनों को भावविभोर कर दिया। ध्यान रहे कि रागिनी, भोजपुरी सिनेमा के सुपर खलनायक अवधेश मिश्रा की अर्द्धांगिनी हैं। रागिनी मिश्रा ने महोत्सव के दौरान अपनी छात्राओं साक्षी मिश्रा, सयाली, राधा अष्टमी, आराधिता, मेघना और रोली के साथ मिलकर तीन दिनों तक भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से सबसे पुराने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें ठुमरी, दादरा होरी चतुरंग, और शुद्ध कथक की प्रस्तुति शामिल रही। नृत्य से कहानियों को बोलने के इस साधन से न सिर्फ उन्होंने भक्तों का मनमोह लिया, बल्कि ऐसा पहली बार जब राधावल्लभ मंदिर के प्रांगण में किसी को प्रस्तुति देने का मौका मिला।
महोत्सव में मिली सराहना को लेकर खुशी जाहिर की और कहा कि इससे बड़ा सम्मान उनके लिए कोई नहीं हो सकता, कि उन्हें राधावल्लभ मंदिर परिसर में प्रस्तुति का मौका मिला वो भी श्री हित हरिवंश महाप्रभु के समक्ष। इस अनुभव को शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आप में यह अविस्मरणीय और ऐतिहासिक रहा, क्योंकि लगातार वार्षिक प्राकट्य महोत्सव में कथक नृत्य की प्रस्तुति अभी तक नहीं हुई थी। इस पहल का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं जो श्री जी के सामने वृंदावन धाम में मुझे अपनी कला को प्रस्तुत करने का मौका मिला। गौरतलब है कि रागिनी मिश्रा ने राधावल्लभ मंदिर के समीप स्थित रास मंडल पर शुरू हुए महोत्सव में मंदिर के सभी आचार्य तथा भक्त सदस्य और कई देश विदेश से आए अतिथिगणों शानदार कथक नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसकी प्रशंसा सबों ने की। माना जा रहा है कि अब से लगातार आगे होने वाले वार्षिक प्राकट्य महोत्सव में रागिनी मिश्रा की प्रस्तुति होना तय है। वहीं, रागिनी लखनऊ महोत्सव में भी अपनी प्रस्तुति देंगी।
बता दें कि रागिनी मिश्रा पटना बिहार की रहने वाली हैं। मगर वे इन दिनों मुंबई में रहती हैं। महज तीन साल की उम्र में कथक नृत्य की साधना में लगी रागिनी मुंबई में राग रागिनी कलाकार नाम से कथक स्कूल भी चलाती हैं और भारतीय आर्ट एंड कल्चर को प्रामोट करने के लिए राग रागिनी सांस्कृतिक ट्रस्ट के माध्यम से भी सराहनीय कार्य कर रही हैं। रागिनी ने स्वर्गीय नागेंद्र मोहिनी और स्वर्गीय गंगदायल पांडेय से कथक की शिक्षा ली। इसके अलावा दिल्ली में उन्होंने एक वर्कशॉप के दौरान पंडित बिरजू महाराज की भी शागिर्द रहीं। साथ ही उन्होंने दिल्ली में लिटिल थियेटर के साथ मिलकर थियेटर भी किया। उन्होंने आज तक देश भर में कई जगहों पर अपना नृत्य प्रस्तुत कर चुकी हैं, जिनके लिए शिवाली नृत्य शिरोमणि और नृत्य रत्नाकर अवार्ड और इंटरनेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।