पटना, (हि.स.)। बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को यहां लालू परिवार द्वारा पटना के आवामी कोपरेटिव बैंक के माध्यम से काला धन को सफेद करने का खुलासा किया है।
उन्होंने कहा कि इस बैंक के अध्यक्ष अनवर अहमद को लालू ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद का सदस्य बनाया था। अनवर का लालू के रसोई घर तक प्रवेश था और उन्हें कबाब मंत्री कहा जाता था। उन्होंने कहा कि सीबीआई और इडी को इस बैंक की जांच करने के साथ लालू प्रसाद की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए।
इस बैंक में लालू के खाता में 58 लाख रुपये और राबड़ी देवी के खाता में 15.62 लाख जमा हैं। इस बैंक के माध्यम से लालू—राबड़ी की बेनामी सम्पत्ति की खरीद हुई है। यह बैंक लालू की दुधारू गाय है।
श्री मोदी ने अपने सरकारी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि अनवर अहमद के आवामी कोपरेटिव बैंक का इस्तेमाल लालू परिवार के काले धन को सफेद करने,ऋण लेने ओर नोटंबंदी के बाद लालू सहित राजद नेताओं के 500 और 1000 के नोट सफेद करने में इस्तेमाल हुआ । लालू परिवार की बेनामी सम्पत्ति खरीद में इस बैंक का पूरा इस्तेमाल किया गया। जमीन खरीद के अनेक मामलों में आवामी कोपरेटिव बैंक के माध्यम से संदिग्ध राशि का भुगतान दिखाया गया।
श्री मोदी ने कहा कि राबड़ी देवी के 18 फलैट जिस अरविंद यादव के परिवार की जमीन पर बना है उस परिवार को 12.86 लाख रुपये और 2.45 लाख रुपये के पांच अलग—अलग चेक आवामी कोपरेटिव बैंक के नाम से निर्गत हैं। अनवर अहमद ने नोटबंदी के बाद 60 मजदूरों के नाम बैंक खाते खोलकर प्रत्येक में 2.30 लाख रुपये जमा कराया गया। जिन मजदूरों के नाम से खाते खोलकर पैसा जमा कराये गये उन्हें पता भी नहीं कि उनके नाम से खाते खोले जा रहे हैं। अनवर अहमद के ट्रस्ट में छापेमारी के दौरान 10 लाख रुपये के नये 2000 और 500 के नोट बरामद किये गये थे। इन खातों में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा करने के तुरंत बाद निकाल ली गयी थी। अनवर अहमद ने अपने परिवार के 4 ट्रस्ट का इस्तेमाल नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रुपये के नोट जमा करने के लिए इस्तेमाल किया। इन सभी ट्रस्ट का खाता आवामी बैंक थे जहां दिखलाया गया कि चंदे के रूप में यह राशि उन्हें दानस्वरूप मिली है।
उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री श्री मोदी ने बताया कि इस बैंक के 70 बेनामी खातों से 1.712 करोड़ रुपये के कालेधन सपफेद करने क साक्ष्य मिले हैं। 2.30 लाख जमा करवाया गया तथा 24 हजार प्रति सप्ताह निकाला गया ताकि आयकर विभाग की निगाहों से बचा जा सके।