बिहार
मां से जुदा कर बाल श्रमिक को भेज दिया सुधार गृह
By Deshwani | Publish Date: 17/10/2017 4:14:56 PMशेखपुरा, (हि.स.)। सूबे बिहार के शेखपुरा में श्रम संसाधन विभाग के अधिकारियों के तालिबानी कार्रवाई ने एक बेटे को मां से जुदा कर दिया। यह हैरतअंगेज करने वाला मामला है। शेखपुरा जिला मुख्यालय के जमालपुर मोहल्ले का,जहां किराना दुकान से मुक्त कराए गए बाल श्रमिक को धावा दल ने माता-पिता के हवाले करने के बजाय उसे 100 किलोमीटर दूर मुंगेर बाल सुधार गृह भेज दिया है। अब हाल यह है कि अपने 10 वर्ष के नाबालिग बेटे को पास लाने के लिए उसकी बेवश,लाचार और बेहद गरीब मां कुंती देवी को शेखपुरा में सरकारी दफ्तरों में भटकना पड़ रहा है।
इस बावत शहर के जमालपुर की कुंती देवी ने बताया की उसका नाबालिग बेटा राजन मोहल्ले के ही एक किराना दुकान में काम करता था। घर की माली हालत बेहद खराब रहने के कारण दो जून का भोजन मिलना मुहाल हो गया था। जिसके कारण अपने कलेजे को टुकड़े को मोहल्ले के किराना दुकान में काम करने के लिए रखवा दिया था। पिछले सप्ताह श्रम विभाग के धावा दल ने बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के नाम पर कुंती के बेटे को किराना दुकान से मुक्त कराकर उसे उसके परिवार को सौंपने के बजाय बाल सुधार गृह,मुंगेर भेज दिया।
अब बेचारी कुंती बेटे का फोटो हाथ थामे उसे अपने पास लाने के लिए इधर-उधर भटक रही हैं। इस बावत श्रम अधीक्षक ने इस बालक को बाल सुधार गृह मुंगेर भेजने के मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की किराना दुकान से मुक्त कराकर इस बालक को स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंपा गया था, लेकिन समिति ने उसे बाल सुधार गृह मुंगेर भेज दिया। श्रम विभाग की इस कार्यशैली से एक मां के कलेजे को टुकड़े को अलग कर देने के तालिबानी निर्णय ने सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया हैं। 10 वर्ष के बालक राजन का कसूर सिर्फ इतना था की वह अपने मानसिक रूप से पिता के पागल होने के कारण,गरीबी की मार के वजह से दुकान में नौकरी कर दो जून की रोटी की व्यवस्था करने में अपने मां की मदद कर रहा था। महकमें के अधिकारियों ने उसके मर्म को नहीं समझा और उसे बाल सुधार गृह मुंगेर भेज दिया।