ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
दीपावली में दिए की लौ पर खतरा, नहीं चल रहे मिट्टी के बर्तन
By Deshwani | Publish Date: 16/10/2017 5:22:18 PM
दीपावली में दिए की लौ पर खतरा, नहीं चल रहे मिट्टी के बर्तन

पूर्णिया,  (हि.स.)| आधुनिक युग में कितनी भी तरक्की क्यों न हो गई हो परन्तु आज भी पारम्परिक हस्तकला के महत्व को नहीं भुलाया जा सकता। मिट्टी के बने बनाए दिए, ढिबरी, मिट्टी के बर्तन, रंग-बिरंगे खिलौने आदि जो अपना एक अलग मुकाम बनाए हुए था, परंतु आज आधुनिक युग के इस परिवेश में हस्तकला यानी मिट्टी निर्मित वस्तुयें विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई हैं।

बाजारों में चाइनीज सामानों एवं इलेक्ट्रॉनिक सामानों ने अपनी पकड़ बड़ी मजबूती से जड़ें जमा ली हैं जिस वजह से इन हस्तकलाओं का महत्व गुमनामी में कही खो सा गया है । आज के परिवेश में भले ही इलेक्ट्रॉनिक सामानों से बाजार भरा पड़ा हो, पर मानव निर्मित वस्तु की मर्यादा ही कुछ और है। बाजार की चकाचौंध में भले ही हस्तकला गुमनाम सा हो गया हो पर हरेक पर्व त्यौहार के अवसर पर पूजा पाठ इत्यादि कार्यों में हस्त निर्मित वस्तुएं ही उपयोगी मानी जाती है । हम बात कर रहे हैं हस्तकला से निर्मित ऐसी ही वस्तुओं की जो खासकर पर्व त्यौहार के समय में शदियों से ही महत्वपूर्ण रही है । दिवाली परवान चढ़ने लगा है और मानव निर्मित मिट्टी के बनाए दिए तथा मिट्टी के बर्तनों का अपना खास महत्व है | माना कि आधुनिक परिवेश में इलेक्ट्रॉनिक सामानों की मांग काफी बढ़ गई है, पर इन सबसे अलग हटकर देखें तो मिट्टी के दिए, ढिबरी की मांग भी कम नहीं हुई है।
एक तरफ जहाँ लोगों का रुझान बिजली चालित दिए ,एलईडी बल्व, रंग बिरंगी लड़ी की तरफ बढ़ा है तथा चाइनीज सामानों ने बाजार में अपना सिक्का जमा लिया है | वही दूसरी तरफ शदियों से चली आ रही पारम्परिक मिट्टी के बनाए दिए, बर्तनों ने अपना एक अलग मुकाम बनाया हुआ है जिनकी महत्ता कभी कम नहीं होने वाली है।
धमदाहा प्रखण्ड मुख्यालय से सटे कुछ कुम्हार जाति के लोगों का निवास स्थान है तथा मिट्टी के सामान बनाने का पेशा वर्षों से ये लोग करते आ रहे हैं । धमदाहा उत्तरटोल निवासी ठक्कन पंडित जैसे दर्जनों परिवार आज भी मिट्टी के बर्तन बनाने में जिन्हें महारत हासिल है| इन लोगों ने रुआंसे शब्दों में बताया कि हमारा पुस्तैनी रोजगार, जो हमे विरासत में मिला है तथा उसी विरासत को बचाने की जुगत में आज भी हमलोग चाक चलाकर कड़ी मेहनत से मिट्टी के बर्तनों को अलग-अलग रंग रूप दे विभिन्न प्रकार के सामानों का निर्माण करते हैं | उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि बाजार की चकाचौंध ने हमारी मेहनत को दरकिनार कर दिया है एवं कड़ी मेहनत के वावजूद भी उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है | उन्होंने बताया कि एक समय था कि जब लोग अपना आशियाना बनाने के लिए खपरैल का उपयोग करते थे, तब हमारा रोजगार काफी फलफूल रहा था | अब खपरैल की मांग पूरी तरह खत्म हो चुकी है एवं खास मौके एवं पर्व त्यौहार के मौसम पर मिट्टी के बनाए दिए, ढिबरी एवं बर्तनों की बढ़ती मांग की वजह से हमें पुनः अपने पारम्परिक व्यवसाय को मूर्त रूप देना पड़ता है। उन्होंने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि ना जाने कब सरकार की निद्रा टूटेगी और हमारी हस्तकला को बढ़ावा देने के उपाय कर पाएगी।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS