बिहार
कल तक जिनके बनाए बर्तनों की थी धूम, आज उनके हाथ खाली
By Deshwani | Publish Date: 15/10/2017 8:24:15 PMबक्सर, (हि.स.)| धनतेरस और दीपावली के समय कभी जिले के केसरा बिरादरी के लोग बाजार के मांग के अनुरूप अपने बनाये बर्तन को उपलब्ध नहीं करा पाते थे | आलम यह था कि बक्सर से पटना तक इनके बनाये बर्तनों की इतनी मांग थी कि रात दिन मेहनत करने के बावजूद मांग के अनुरूप ये माल का उत्पादन नहीं कर पाते थे | इनके बनाये बर्तनों की बिशेषता यह थी कि इसमें कहीं भी जोड़ नहीं दिखाई देता था, यह इनके कारीगरी का कमाल था|
डुमरांव अनुमंडल के केसरा गली में आज भी केसरा जाति के सौ परिवार रहते हैं | कालान्तर में ठठेरी बाजार के नाम से प्रसिद्ध इस गली में धनतेरस के कई दिनों पूर्व से छोटे बड़े वाहनों का ताता लगा रहता था | इन वाहनों के माध्यम से बर्तन पटना, बनारस, सोनपुर भेजा जाता था | स्वंग हर केसरा परिवार के घरों के सामने भरपूर मात्र में बर्तनों की दूकानें लगा दी जाती थीं| बुजुर्गों के अनुसार धनतेरस के अवसर पर ये 600 क्विंटल पीतल का आयात इस समाज के लोग किया करते थे |
अपने पुराने दिनों को लेकर कारीगर कृष्णा प्रसाद केसरा बताते हैं कि दीपावली के एक महिना पहले उनलोगों के पास इतना काम आ जाता था कि सोने की फुर्सत नहीं मिल पाती थी, पर आज के दिनों में उनके हाथ खाली हैं | जीवन यापन करने के लिए अब वे कबाड़ी का काम करते हैं |
आज के दौर का जिक्र करते हुए केसरा समुदाय के लोग कहते हैं कि उन्न्त मशीनों की कमी बिजली व बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने उनके हाथो को बेकार कर दिया है |अब तो बाजारों में इतने सस्ते दर पर बर्तन उपलब्ध हैं कि उनके हाथ के बनाये बर्तनों को मूल्यों की असमानता के कारण कोई खरीदता ही नहीं | ऐसा नहीं है कि ग्राहक नहीं है | आज भी पटना वाराणसी के कई ब्यापारी धनतेरस को लेकर हमारी गलियों में आते हैं | इन केसरा परिवार की सरकार से शिकायत है कि अगर वे हमसे बात कर हमें मूलभुत सुबिधा उपलब्ध करा दें तो हम सरकार के मेक इन इंडिया की एक कड़ी साबित होंगे |