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बिहार
पर्चा लीक मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को पक्ष रखने का दिया निर्देश
By Deshwani | Publish Date: 6/10/2017 8:55:21 PM
पर्चा लीक मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को पक्ष रखने का दिया निर्देश

 पटना, (हि.स.)। बहुचर्चित पर्चा लीक मामले में अभियुक्त बनाए गए आनंद शर्मा की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की तिथि 13 अक्टूबर को निर्धारित करते हुए राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। जस्टिस नीलू अगरवाल की एकलपीठ ने आनंद शर्मा की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया।

 

बिहार कर्मचारी चयन आयोग अर्थात बीएसएससी की इंटरस्तरीय (12वीं) पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्न-पत्र और उसके उत्तर लीक होने के मामले में अहम सबूत मिलने के बाद बिहार सरकार ने परीक्षा रद्द कर दिया था। मामले की जांच में जुटी विशेष जांच टीम ने आयोग के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम, आनंद शर्मा तथा आयोग के डाटा एंट्री ऑपरेटर नितिरंजन प्रताप को गिरफ्तार किया था। सरकार ने भी इस प्रकरण पर तुरंत कदम उठाते हुए, हो चुकी तथा होने वाली परीक्षा को रद्द कर दी थी।

बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने इंटरस्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा के लिए चार तारीखों का ऐलान किया था। दो परीक्षाएं 29 जनवरी और पांच फरवरी को हो चुकी थी, जबकि अन्य परीक्षाएं 19 फरवरी और 26 फरवरी को होनी थी। पहले दो चरणों में हुई परीक्षा के प्रश्न-पत्र और उनके उत्तर सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, लेकिन आयोग ने किसी भी तरह की लीक होने से इंकार कर दिया था, जबकि पेपर देने आए छात्रों ने सोशल मीडिया पर वायरल प्रश्न-पत्रों में एक सेट को सही बताया था। छात्रों ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। 

छात्रों का हंगामा बढ़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुआई में एक जांच दल गठित किया गया और जगह-जगह छापेमारी की गई और आयोग के अध्यक्ष सचिव, गुजरात प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत कुमार को उनके कर्मचारियों बिपिन कुमार, दिनेश कुमार यादव, आनंद शरमा सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

 

सुनवाई के क्रम में अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ही वह व्यक्ति है जिसके मोबाइल के व्हाट्सएप से लीक किया गया पेपर वायरल हुआ था। जांच के क्रम में यह बात भी सामने आई थी कि परमेश्वर राम के पास 35 लोगों की पैरवी इन्होंने ही की थी। वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि वह जमीन खरीद बिक्री के कारोबार से जुड़ा हुआ है। उनका इस कांड से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने परमेश्वर राम से जमीन की खरीद बिक्री मामले में ही बात की थी और इसी आधार पर उन्हें अभियुक्त पक्ष दिया गया है।

राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस कांड से संबंधित कोई 2300 पृष्ठों की केस डायरी प्राप्त हुई है जिस कारण इसका अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। राज्य सरकार की ओर से यह भी बताया गया की यह एक बड़ा घोटाला है, इसलिए बगैर केस डायरी के अध्ययन किए पक्ष रखना उचित नहीं है।

 
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