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काले धन के समर्थक मोदी सरकार के खिलाफ: राजीव रंजन
By Deshwani | Publish Date: 28/9/2017 5:18:02 PM
काले धन के समर्थक मोदी सरकार के खिलाफ: राजीव रंजन

पटना, (हि.स.)। अर्थव्यवस लेकर मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी को फिजूल बताते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने बयानबाजी करने वाले नेताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “ काले धन के खिलाफ मोदी सरकार की कठोर नीतियों से घबराए नेता बौखलाहट में केंद्र पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। इन्हें यह पता होना चाहिए कि सिर्फ एक तिमाही के आधार पर अर्थव्यवस्था का आकलन नही होता। 

श्री रंजन ने गुरुवार को यहां कहा कि मोदी सरकार के विरोध में बोलने वालों को यह पता होना चाहिए कि 2013-14 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी थी तो उसे विरासत में 4.9% की विकास दर वाली अर्थव्यस्था विरासत में मिली थी,जिसे महज दो सालों में अपनी नीतियों से वर्तमान सरकार ने चीन से भी आगे पंहुचा दिया था। अभी भी आईएऊएम के अनुसार 2017-18 के अंत तक भारत की विकास दर 7.2% रहने का अनुमान है जिसमे आईएऊएम के ही अनुसार अगले साल वृद्धि होनी तय है। 

उन्होंने कहा कि जिस जीएसटी और नोटबंदी की आलोचना यह नेतागण कर रहे हैं, वह आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है। गरीबों और निचले तबकों के विकास के लिए कृतसंकल्पित इस सरकार ने अभी तक समाज के हर तबके का पूरा ख्याल रखा है। राज्यों की बात करें तो वर्तमान सरकार ने राज्यों के हित में कदम उठाते हुए केन्द्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी को 32% से बढ़ा कर 42% कर दिया है, वहीं बिहार को मिलने वाले 1.60 हजार करोड़ में भी केंद्र ने वृद्धि कर उसे 3.83 हजार करोड़ बना दिया।

श्री रंजन ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का संकल्प लेने वाली इस सरकार ने आते ही यूरिया की नीमकोटिंग कर सालों से चली आ रही कालाबाजारी पर रोक लगा इसे सर्व सुलभ बना दिया तथा साथ ही फसल बीमा योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी योजनाएं पहली बार चला उनके फसल की सुरक्षा तथा उत्पादन में वृद्धि के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाये। इस सरकार से पहले गरीब महिलाओं ने कभी नही सोचा होगा कि कोई सरकार उन्हें रसोई के धुंए से मुक्ति दिलाएगी लेकिन उज्ज्वला योजना के तहत सरकार ने उनका भी ध्यान रखा, लेकिन भ्रष्टाचार को अपनी नीति मानने वाले नेता इन बिन्दुओ पर कभी बात नही करते.”

श्री रंजन ने कहा “ राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए बेनामी चंदे की सीमा 20 हजार से घटा कर 2 हजार करने के सरकार के कदम से भी कुछ नेताओं को दिक्कत हो रही है। इन्हें याद करना चाहिए कि यूपीए सरकार में जिस कोयला घोटाले से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ की क्षति हुई थी, वर्तमान सरकार उन्ही में से मात्र 82 खदानों की नीलामी से 3.94 लाख करोड़ रु खजाने में जमा कराए। खुद को अर्थव्यवस्था का विशेषज्ञ मानने वाले नेता यह याद करें कि गत वर्ष भारत आए IMF के चेयरमैन ने भारतीय अर्थव्यस्था को चमकता सितारा करार दिया था। इन्हें पता होना चाहिए अभी मोर्गन स्टैनले ने भी अगले एक दशक में भारतीय अर्थव्यस्था के तीन गुनी बढ़ने की बात कही है। मोदी सरकार के विकास कार्यों से जलने वाले नेता यह जान लें कि देश की जनता सब समझती है और इसीलिए हर कदम पर सरकार के साथ खड़ी है।

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