पटना, (हि.स.)| पिछले कुछ दिनों से नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र सहित पूरे बिहार में हो रही भारी बारिश और विभिन्न बैराजों से उत्तर बिहार की नदियों में नेपाल की ओर से छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी की वजह से उत्तर बिहार तथा सीमांचल क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है जिसमें अब तक 56 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि अब तक 56 लोगों की हुई मौत में सबसे अधिक अररिया में 20 , पश्चिम चंपारण में 9, किशनगंज में आठ, सीतामढ़ी में 5, मधेपुरा में 4, पूर्वी चंपारण, दरभंगा , मधुबनी में 3-3 व्यक्ति की बाढ़ में डूबने से मौत हुई है।
सूत्रों ने बाढ़ के पानी में डूब कर मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने की आशंका जताई है । सूत्रों ने बताया कि अभी तक लगभग 7 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है।
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी पटना में झंडा फहराने के बाद मंगलवार को भी बाढ़ प्रभावित मोतिहारी, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया।
इस बीच कटिहार से मिल रही जानकारी के अनुसार जिले में बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण एक मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गया और उस पर शरण ले रखे कुछ परिवार पानी में बह गए । हालांकि घटना के बाद तुरंत बचाव कार्य शुरू कर कई लोगों को बचा लिया गया। बाढ़ की भीषण स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हवाई सर्वेक्षण के बाद अपने सरकारी आवास पर एक अहम बैठक कर राहत कार्यों की समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार के 12 जिले के 889 पंचायत में रह रहे 65 लाख की आबादी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। उन्होंने बताया कि डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की 22 टीमें तथा स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की 15 टीम बाढ़ राहत में लगाई गई हैं। इसके अलावा सेना के 619 जवान युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं। वायु सेना का दो हेलीकॉप्टर के माध्यम से राहत सामग्री वितरित की जा रही है। प्रभावित क्षेत्रों में 254 राहत शिविर कैंप लोगों के लिए कार्यरत हैं।
इस बीच राज्य सरकार में चिकित्सकों की छुट्टियां रद कर उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में लगाया है साथ ही इंजीनियरों को भी नदियों के तटबंध पर निगरानी रखने का निर्देश दिया है।