दरभंगा, (हिस)। कासिंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह के मौके पर सोमवार को प्रभात फेरी निकाली गई जो पाणिनि छात्रावास से निकलकर श्यामा माई मंदिर, हसन चौक, कुलपति आवास होते हुए पुनः पाणिनि छात्रावास में लौट आया।
इसके बाद संबंधित परिसर में हवन कर वैदिक रीति से आहूति दी गई जिसमें प्रतिकुलपति प्रो.चंद्रेश्वर सिंह द्वारा यजमान की भूमिका निभाई गई।
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि पधारे आयुक्त आर.के खण्डेलवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि संस्कृत संस्कार ही नहीं, अपितु विज्ञान की भी भाषा है।
उन्होंने कहा कि यह वह भाषा है, जिसमें गागर से सागर भरने की क्षमता है । इसके लिए उन्होंने उपस्थित संस्कृतज्ञों से आवश्यक पहल कर इसे जन-जन तक पहुंचाने का आग्रह भी किया।
इस मौके पर बतौर विशिष्ठ अतिथि पधारे लनामिविवि के कुलपति प्रो समरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि बनारस में आज भी विदेशी छात्र संस्कृत सीखने हेतु अध्ययनरत हैं। संस्कृत के वैज्ञानिक तथ्य समाज के लिए उपयोगी हैं। इस मौके परडीडीसी विवेकानंद झा ने कहा कि संस्कृत मिथिलांचल की आवोहवा में कुछ इस कदर रचा-बसा है कि चाहकर भी इसे अलग नहीं किया जा सकता है।
अध्यक्षीय संबोधन में संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि जीवन के हरेक क्षेत्र में उपयोगी संस्कृत भाषा एवं इसका साहित्य शांति, सद्भाव के साथ विश्वबन्धुत्व को स्थापित करने में सहायक साबित होे सकता है ।
इस अवसर पर संस्कृत भाषा में एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमें डा.योगेन्द्र महतो, पं हरेकृष्ण झा, रश्मि कुमारी, हीरा, पूजा सुमन, अर्चना कुमारी, अनुपम भारती, खुश्बू सुमन, संजीत कुमार राम, अमरजीत कुमार झा प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।