फारबिसगंज/अररिया, (हि.स.)। यूपी बोर्डर से सटे पश्चिमी चंपारण के गोबरहिया से पश्चिम बंगाल बोर्डर से सटे गलगलिया तक सड़क बनने से अररिया सहित बिहार के सात सीमावर्ती जिलों की तस्वीर बदल जाएगी। कहा जा रहा है कि भारत-नेपाल सीमा से सटे बोर्डर रोड पर भू- माफियाओं की टेढ़ी नजर है।
यूपी बोर्डर से सटे पश्चिमी चंपारण के गोबरहिया से पश्चिम बंगाल बोर्डर से सटी गलगलिया तक इस सड़क का पिछले साल यानी 2016 तक निर्माण प्रस्तावित था मगर इसके लिए भू-अधिग्रहण सहित अन्य कारणों से इस परियोजना को परिणति तक
पहुंचाया नहीं जा सका था, पर अब इस सड़क के बनने से उक्त सड़क मार्ग 191 बीओपी यानी बार्डर आउट पोस्ट से सीधे जुड़ जाएगा।ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के पैरलल बनने वाली यह सड़क उत्तराखंड से लेकर सिक्किम तक नेपाल सीमा के समकक्ष जाएगी।
गृह मंत्रालय के इस मेधा योजना में सर्वप्रथम 2010 के दिसम्बर में प्रथम राज्य के रूप मे बिहार द्वारा डीपीआर बनाकर बजट बनाकर केन्द्र को सौंपा गया था ।
मिली जानकारी अनुसार गोबरहिया से गलगलिया तक 557 किलोमीटर लंबी इस रोड के निर्माण लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपये हैं जिसमें करीब दो हजार करोड़ रुपये राज्य सरकार और शेष केन्द्र सरकार देगी। यह रोड बिहार के सात जिलों जैसे पूर्वी और पश्चिमी चंपारण-184 किमी, सीतामढ़ी-89 किमी, मधुबनी-40 किमी, सुपौल-41 किमी, अररिया-104 किमी और किशनगंज-98 किमी से होकर गुजरेगी। 557 किमी सड़क मार्ग पर 05 बड़े पुल, 06 छोटे पुल और 852 कलवर्ट बनना है जिसकी लागत 1655.99 करोड़ रूपये आएगी जिसके लिए केंद्र के साथ-साथ नाबार्ड 1400 करोड़ रुपये मुहैया करवाएगा।
इस रोड के बनने से एसएसबी के 199 बीओपी इस रोड से सीधे जुड़ जाएगा जो आंतरिक सुरक्षा के साथ साथ नकली नोट, मादक द्रव्य और मानव तस्करी के खिलाफ अभियान को पंख लग जाएगा। 69 बीओपी को लिंक रोड से जोड़ने के लिये राज्य सरकार द्वारा 111 एकड़ जमीन के अधिग्रहण करने की योजना है ।
जिस रुट से यह सड़क गुजरेगी उसमें यूपी बोर्डर के गागबरहिया से पश्चिमी चंपारण के सहौदरा, ईनरवा, सिकटा, पूर्वी चंपारण के रक्सौल और गुआबाड़ी, सीतामढ़ी के बसबिट्टा, सोनवर्षा, सूरसंड और भिट्ठा मोड़, मधुबनी के अखाड़ा घाट, लदनियां, लौकहा, लौकही, झौड़ी चौक, करियांठ, आंद्रामठ और भूतहा चौक, सुपौल के सरायगढ़, भीमनगर और बीरपुर, अररिया के रिफ्यूजी कॉलोनी, जोगबनी, कुवाड़ी और सिकटी के अलावा किशनगंज के फतेहपुर, डुबहा, पीलटोला और गलगलिया प्रमुख हैं। इस रोड के रख-रखाव की जिम्मेवारी सड़क निर्माण विभाग तथा भूमि अधिग्रहण अधिग्रहण के साथ-साथ पर्यावरण क्लीयरेंस की जिम्मेवारी राज्य सरकार राज्य सरकार पर निर्धारित की गई है ।
क्या कहते हैं एसएसबी अधिकारी
एसएसबी 24वीं बटालियन के उप सेनानायक मुकेश गौतम ने कहा कि नेपाल सीमा से सटे निर्मानाधीन टू लेन रोड ना केवल आंतरिक सुरक्षा को लेकर मील का पत्थर साबित होगा वरन राष्ट्र विरोधी राष्ट्रबिरोधी गतिविधि आदि के खिलाफ भी इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलेंगे।
इस मामले में आपदा विशेषज्ञ राकेश कुमार ने कहा इस रोड के बनने से न केवल सामाजिक सरोकार में बदलाव आएंगे बल्कि गोरखपुर (यूपी) से सिलीगुड़ी (बंगाल) तक का आवागमन भी सुगम हो जाएगा। उन्होंने आपदा प्रबंधन सहित विकास के पैमाने पर इस सड़क के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र की लाइफ लाइन होने की बात कही ।