छपरा, (हि.स.)। इन दिनों किसान धान की रोपाई कर रहे हैं, तो कहीं-कहीं धान लग भी चुका है जिसमें दीमक लगने से किसानों की चिंता व परेशानी बढ गयी है। किसानों को इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि फसल में दीमक, सफेद गिंडार और राइस बिबिल कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फसल का बचाव करने के लिए कीटनाशी दवाओं का छिड़काव करने की जरूरत है। किसानों को इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि फसल में दीमक, सफेद गिंडार और राइस बिबिल कीट नहीं लगे । इसके प्रति लापरवाही फसल की पैदावार पर भी असर डाल सकता है।
रोपनी के दो दिन बाद डाले दवा
रोपाई के दो दिन बाद ही दवा को गोबर की खाद में मिलाकर खेत में डालें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी। जिले में धान की खेती अच्छे स्तर पर होती है। किसान पूरी मेहनत के साथ धान की बढ़िया किस्मों का प्रयोग करते हैं, लेकिन अगर खेत में बीमारी लग जाए और फसल का नुकसान होने लगे, तो किसानों के लिए चिंता की बात हो जाती है। किसान जब खेत में धान की रोपाई कर देते हैं,तो पौधे में दीमक समेत दूसरे कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे पौधा सूखने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दीमक मिट्टी में पौधे की जड़ काटना शुरू कर देते हैं। बतातें हैं कि रोपाई के साथ साथ या एक दो दिन बाद ल्यूवेरिया बोसियाना या मेटाराइजिम दो किलोग्राम प्रति एकड़ गोबर के खाद में मिलाकर खेत में डालें। अगर दवा को शाम के समय खेत में डाला जाए,तो और फायदा मिलेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
धान की रोपनी का कार्य लगभग अंतिम चरण में हैं और पहले लगाए गए धान के पौधों में दीमक लगने की बीमारी हो रही है । इसकी शिकायत किसानों ने की है । क्षेत्र भ्रमण के दौरान भी इस तरह की शिकायत पायी गयी है । किसानों को बचाव का उपाय बताया जा रहा है ।
डा रतनेश्वर कुमार झा
कृषि वैज्ञानिक सह कार्यक्रम समन्वयक
कृषि विज्ञान केन्द्र, मांझी, सारण