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आंध्र प्रदेश से वज्रपात की पूर्व जानकारी की तकनीक लाया जायेगा बिहार
By Deshwani | Publish Date: 21/7/2017 7:31:31 PM
आंध्र प्रदेश से वज्रपात की पूर्व जानकारी की तकनीक लाया जायेगा बिहार

पटना, (हि.स.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य प्रशासन को आंध्र प्रदेश की तरह बिहार में भी कहा कि वज्रपात के आधा घंटा पहले जानकारी देना वाला तकनी तत्काल सुलभ कराने का निर्देश दिया है। गत वर्षों में बिहार में वज्रपात की घटनायें बढ़ गयी हैं। इससे लोगों को सचेत करने से जानमाल की हानि कम होगी। 

मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। बिहार सरकार ने विशेष रूप से जापान के सहयोग से आपदा जोखिख से कम से कम नुकसान और इससे उत्पन्न सिथति का मुकाबला के लिए 2015 से 15 वर्षों के लिए आपदा प्रबंधन का रोड मैप तैयार किया है। इस तरह की पहल करने वाला देश में बिहार पहला राज्य है। 
 
उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण का कार्य 2015 में हुये जापान के सेंडई काॅन्फ्रेंस के बाद प्रारंभ हुआ। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में कोई न कोई आपदा का खतरा है, खतरों के बारे में सोच विकसित करने, उसका नुकसान कम से कम हो, इन सबको ध्यान में रखते हुये 15 साल के लिये बने आपदा रोडमैप की वर्षगांठ के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार हेाता है। हमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिये। इसमें कोताही नहीं बरतिये, नहीं तो अंतरात्मा को कष्ट होगा। 
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वज्रपात की 30 मिनट पहले ही सही , इसकी जानकारी देने वाली इस तकनीक को तत्काल बिहार में लाइये, देर नहीं कीजिये, पूरा नेटवर्क तैयार कीजिये। तकनीक को बिहार लाने में जो भी पैसा लगेगा, वह मुख्यमंत्री राहत कोष से दिया जायेगा। वज्रपात के कारण अगर मृत्यु होती है तो 24 घंटे के अंदर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये की राशि दी जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा को कोई रोक नहीं सकता है। आपदा से जान-माल का नुकसान होता है। यह नुकसान कम से कम हो, हमारा यही लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हमें यह लक्ष्य बनाना चाहिये कि हम कैसे आपदा के प्रभाव को कम कर सकें। बिहार बहु आपदा से प्रभावित राज्य है। बिहार में विचित्र स्थिति है। बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित होता है। यहाॅ वर्षा कम हो फिर भी राज्य से जुड़े अन्य क्षेत्रों में हो रही वर्षा से बिहार प्रभावित होता है। अगर नेपाल में भारी वर्षा हुयी तो नेपाल से निकलने वाली नदियों के पानी में उफान आयेगा। अगर मध्यप्रदेशा एवं झारखण्ड में अधिक वर्षा हुयी तो दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति बन जायेगी। अगर उत्तराखण्ड में अधिक वर्षा हुयी तो गंगा के पानी में उफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि हमें बाढ़ और सुखाड़ दोनोें से लड़ने के लिये हर वर्ष तैयार रहना पड़ता है। हम हर स्थिति का मुकाबला करने के लिये तैयार हैं, इसके लिये लोगों तथा अधिकारियों को तैयार किया गया है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल के बच्चों को भूकम्प एवं आग जैसी चीजों के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है। आपदा की स्थिति में कैसे बचाव किया जाय, इसकी उन्हें जानकारी एवं प्रषिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ठीक से हमारे स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित कर दिया जाय तो वे जुड़े अन्य लोगों को भी इसके बारे में बतायेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे यहाॅ 2.5 करोड़ स्कूली बच्चें हैं। अगर उन्हें प्रषिक्षित कर दिया जाता है तो कितना बड़ा काम होगा। आपदा के प्रभाव में कितनी कमी आयेगी। समारोह में आपदा प्रबंधन मंत्री चन्द्रशेखर, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ब्यासजी, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य डा. उदय कान्त मिश्रा के अलावा डा. डेविड मोल्डेन, बिहार प्रमुख यूनिसेफ एम.असादुर्रहमान, मिलिंडा गेट्स फाउण्डेशन की वैलेरी विमो ने भी संबोधित किया। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन प्रत्यय अमृत सहित सरकार के प्राय:सभी वरिष्ठ अधिकारी समारोह में शामिल थे।
 
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