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बिहार का जंगलराज आतंकराज में हुआ परिवर्तित : राजीव रंजन
By Deshwani | Publish Date: 19/6/2017 8:09:57 PM
बिहार का जंगलराज आतंकराज में हुआ परिवर्तित : राजीव रंजन

 भागलपुर,  (हिस)। सूबे में बढ़ रहे अपराध के मुद्दे पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता तथा इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन ने नीतीश सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि एक तरफ राज्य सरकार शराबबंदी का राग अलापते हुए सूबे में अपराधों की संख्या घटने का दावा कर रही है, वहीं , प्रदेश की जनता दिन-दहाड़े हो रही लूट-पाट, चोरी-डकैती तथा अन्य अपराध की घटनाओं से त्राहि-त्राहि कर रही है।

प्रसाद ने कहा कि लालू-राबड़ी राज में तो लोग अंधेरा होने के बाद घर से निकलने में घबराते थे, लेकिन नीतीश राज में लोग-बाग़ अब दिन में निकलने से पहले भी सोचते हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जब अख़बार के पन्ने पलटते हीं लूट-पाट, अपहरण, बलात्कार अथवा हत्या की दर्जनों घटनाओं से आपका पाला नहीं पड़े। लेकिन राज्य की सरकार जनता को भगवान भरोसे छोड़ अपनी छवि चमकाने में व्यस्त है। हकीकत में देखें तो लालू राबड़ी के जंगलराज को नीतीश जी ने आतंकराज बना दिया है ”।

हालात यह है कि सूबे की जनता अब अपने आप को भगवान भरोसे मान चुकी है। किसे कहां लूट लिया जाए, किस बैंक या दुकान में कब डकैती पड़ जाए इसकी अब कोई गारंटी नहीं रही।

अपराध के मुद्दे पर बोलते हुए रंजन ने कहा इसी बेलगाम अपराध को लालू जी के खिलाफ मुद्दा बना नीतीश जी सत्ता में आए थे, लेकिन अब प्रधानमन्त्री बनने के चक्कर उन्हें बिहार की जनता की इस सबसे मुख्य समस्या से कोई मतलब नहीं रहा। अगर लालू-राबड़ी के जंगलराज से इनके आतंक राज की तुलना करें तो 2001-04 में दर्ज कुल संज्ञेय अपराधों की संख्या 410511 थी, वहीँ 2013-16 तक नीतीश राज में यह संख्या बढ़ कर 765063 हो गयी। वहीं , इस साल अप्रैल तक कुल 67819 संज्ञेय अपराध घटनाए दर्ज हो चुके हैं। 2001 में जहां डकैती-लूट की कुल 75369 घटनाएं दर्ज की गई थीं वहीं 2013-2016 में यह बढ़ कर 120867 हो गई । अगर इस साल को देखें तो सिर्फ अप्रैल तक राज्य में लूट-डकैती तथा चोरी आदि की कुल 10400 घटनाएं हो चुकी हैं और उसके बाद भी सरकार का सूबे में अपराध घटने का दावा करना, बिहार की जनता के साथ एक क्रूर मजाक नहीं तो और क्या है ?

उन्होंने नीतीश से पूछा है कि उनकी सरकार के नेता झूठ बोल रहे हैं कि तो क्या उनकी पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़े गलत हैं ? उनसे यह भी बताने को कहा गया है कि अगर बिहार में पहले जंगलराज था तो उससे ज्यादा हुए अपराधों के बाद अभी के उनके राज को क्या कहेंगे ? क्या इसी को सुशासन कहते हैं ? जनता सरकार की कथनी और करनी के अंतर को बखूबी देख रही है और आने वाले समय में इसका माकूल जवाब देगी ”।

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