पटना, (हि.स.)। बिहार में अगले पांच वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में कम से कम 15 प्रतिशत की वृद्धि कर 225 लाख मीट्रिक टन करने के लक्ष्य के प्रस्तावित कृषि रोड मैप पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों की राय जानी।
मुख्यमंत्री ने राज्य भर से जुटे 1000 से अधिक किसानों के समागम में कहा कि हमने बिहार में किसानों और कृषि को प्राथमिकता दी है। किसानों के सुझाव पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। वहीं, पिछले दो कृषि रोड मैप को लागू करने में आयी कमियों पर विशेष ध्यान देगी।
उन्होंने माना कि कृषि क्षेत्र में बिहार की स्थिति खराब है। इसीलिए किसानों की आमदनी बढ़ाना हमारा लक्ष्य है । बिहार ने धान उत्पादन में रिकार्ड बनाया है। कृषि से संबंधित क्षेत्रों का भी विकास होना चाहिए। सूबे के 76 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं। उन्होंने राजधानी पटना के ज्ञान भवन में आयोजित किसान समागम में किसानों के साथ जमीन पर बैठकर भोजन भी किया।
पूरे दिन चले समागम में दो सत्रों में किसानों से विमर्श का सिलसिला चला। प्रस्तावित कृषि रोड मैप को विधानमंडल के अगले माह संभावित मानसून सत्र में पेश कर विधायकों की भी राय ली जायेगी।
उसके बाद इसे लागू करने की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जायेगा। सरकार को कृषि रोडमैप के तहत निर्धारित योजनाओं को लागू करने हेतु वित्तीय खर्च का आकलन अभी बाकी है। बिहार में पहला कृषि रोड मैप 2008-2012 और दूसरा कृषि रोड मैप 2012-2017 के लिए तैयार किया गया था ।
तीसरा कृषि रोड मैप में दलहन और तेलहन उत्पादन बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ बिहार में बीज हब की स्थापना का लक्ष्य है। सिंचित क्षेत्र के विस्तार के लिए कृषि के लिए अलग बिजली फीडर का निर्माण किया जाएगा ।
समागम में उप- मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और कृषि मंत्री राम विचार राय सहित मंत्रिपरिषद के अधिसंख्य सदस्य और मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह सहित कृषि से जुड़े प्राय: सभी विभागों के प्रधान सचिव व सचिव मौजूद थे ।
किसान समागम में कैमूर से आये किसान सुनील ने कृषि विभाग के कामकाज की जमकर आलोचना की। उन्होंने नीतीश को संबोधित करते कहा ' मुख्यमंत्री जी मैं आपका विरोधी नहीं हूं, मैं आपकी पार्टी का ही आदमी हूं और मैं बोलूंगा । जमुई के किसान ने उनसे कहा कि एक तरफ देश में सरकारें किसानों पर गोलियां चलवा रही हैं और दूसरी ओर आप किसानों के बीच बैठकर भोजन कर रहे हैं ।