पटना, (हि.स) | बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने गुरुवार को कहा कि जीवन की मौलिक आवश्यकताओं , आर्थिक विकास , स्वावलंबन और बेहतर जीवन के लिए बिजली की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है ।
बिहार में स्वच्छ ऊर्जा के विकास और राज्य की नई वैकल्पिक ऊर्जा नीति 2017 विषय पर आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेते हुए सिद्दिकी ने कहा कि कम्युनिस्ट नेता लेनिन से किसी ने जब साम्यवाद की परिभाषा पूछा था तो उन्होंने तुरंत जबाव दिया कि बिजली और सिंचाई की समान उपलब्धता ही साम्यवाद है ।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति हमसे बेहतर है वहां प्रति व्यक्ति उर्जा उत्पादन, खपत, ट्रांसमिशन लॉस और राजस्व वसूली सभी चीजें बेहतर हैं । वहीं खेती की उत्पादकता और लागत भी आवश्यकतानुसार, सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी पर ही निर्भर है। दूसरी ओर डीजल संचालित सिंचाई व्यवस्था अनिश्चित, मंहगी होने के साथ-साथ प्रदूषण भी पैदा करती है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश बिजली उत्पादक ईकाइयां कोयला आधारित हैं। कोयला के भण्डार को सीमित बताते हुए उन्होंने कहा कि खदान से कोयला निकालने और कोयला से विद्युत प्लांट चलाने से प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। ऐसी बिजली इकाइयों को खड़ा करने में बहुत समय और साधन लगता है ,वहीं, इसके लिए काफी जमीन भी चाहिए। इसके बावजूद हमारी आवश्यकता के अनुसार बिजली हमें नहीं मिल पायेगी।
उन्होंने कहा कि पनबिजली के लिए पानी की अनवरत आपूर्ति की आवश्यकता सुनिश्चित नहीं की जा सकती इसलिए वैसी उर्जा स्रोतों का संवर्धन आवश्यक है जो प्राकृतिक हो साथ ही जिनका भंडार अक्षय हो और वह प्रदूषण मुक्त भी हो।
सिद्दीकी ने कहा कि विशेषज्ञों की राय में भारत में 95 हजार मेगावाट गैर-परंपरागत और नवीकरणीय उर्जा की क्षमता है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 से 15 वर्षों में बिहार में उर्जा आपूर्ति की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। बड़े शहरों के अलावा आज छोटे शहरों और गांवों में भी बिजली उपलब्ध है।