पटना, (हि.स.)। बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री के निश्चय के तहत हर घर नल-जल और हर गली एवं नालों को पक्की बनाने की योजनाओं के चयन, कार्यान्वयन एवं मानिटरिंग के लिए गठित वार्ड विकास समिति को हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिये जाने के आलोक में इसके लिए 2006 बने बिहार पंचायती राज अधिनियम में संशोधन का निर्णय लिया है।
बिहार कैबिनेट की शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यहां हुई विशेष बैठक में राज्यभर के लगभग 8400 ग्राम पंचायतों को 1.30 लाख से अधिक वार्डों में वार्ड विकास समिति के गठन के लिए अधिनियम में बिहार पंचायती राज नियमावाली, 2017 को मंजूर किया है।
पंचायती राज मंत्री कपिल देव कामत ने बैठक के बाद कहा कि वार्ड सदस्य की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति में पंच उपाध्यक्ष और आंगनबाड़ी दो दीदी, अनुसूचित जाति का एक सदस्य और वार्ड का एक लिखा- पढ़ा व्यक्ति सदस्य होगा। वार्ड विकास समिति पर योजना के चयन, कार्यान्वयन और मानिटरिंग की जिम्मेवारी होगी।
उल्लेखनीय है कि पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने 18 मई ,2017 को पंचायती राज विभाग द्वारा सितम्बर -अक्टूबर, 2016 में जारी दो अधिसूचनाओं को पंचायती राज अधिनियम का घोर उल्लंघन मानते हुए इस पंचायती राज प्रणाली की वित्तीय शक्ति एवं अधिकारों का अतिक्रमण कहा था।
सरकार ने हाईकोर्ट की आपत्ति को ध्यान में रखते हुए पंचायती राज अधिनियम की धारा 25,26 और 170 में संशोधन कर वार्ड विकास समिति का प्रावधान किया है।
कैबिनेट की शुक्रवार की बैठक में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी उपस्थित नहीं थे। पुत्री के अस्वस्थ होने की सूचना पर बैठक के पहले वे नयी दिल्ली गए थे। वहीं, लालू के दोनों पुत्र तेजस्वी और तेज प्रताप पटना में रहने के बावजूद बैठक में नहीं पहुंचे। बाद में लालू प्रसाद के अस्वस्थ होने की सूचना दी गयी।