मुजफ्फरपुर (मुसाहारी), (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि केन्द्र सरकार का मुख्य उद्देश्य लीची के विकास एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध करके नई-नई किस्मों एवं तकनीकों का विकास करना और लीची संबंधी जानकारी को प्रसार विभाग को उपलब्ध कराना है। कृषि मंत्री ने यह बातें सोमवार को मुसाहारी, मुजफ्फरपुर, बिहार में लीची प्रसंस्करण संयंत्र के उद्घाटन और सह प्रशिक्षण के अवसर पर कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार लीची उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, अभी बिहार में 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 300 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हो रहा है। बिहार का देश के लीची के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान है। लीची के महत्व को देखते हुए 6 जून, 2001 को यहां राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई।
उन्होंने कहा कि बिहार के कुल क्षेत्रफल एवं उत्पादन में मुजफ्फरपुर जिले का योगदान बहुत अच्छा है, परन्तु लीची उत्पादकता जो अभी लगभग आठ टन की है, उसे बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा में सभी सरकारी संस्थानों, सहकारी समितियों एवं किसानों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने लीची फल को उपचारित करके तथा कम तापमान पर 60 दिनों तक भंडारित करके रखने में सफलता पायी हैं। इसका एक प्रसंस्करण संयंत्र भी विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह तकनीक निश्चित रूप से लीची उत्पादकों एवं व्यापारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक को प्रभावशाली बनाने के लिए उत्पादकों को अच्छी गुणवत्ता के फल का उत्पादन करना होगा, जिसके लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर ने अनेक तकनीकों का विकास किया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर प्रत्येक वर्ष लगभग 35-40 हजार पौधे विभिन्न संस्थानों/राज्यों को उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, आईसीएआर के अन्य संस्थानों तथा राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों एवं केन्द्र तथा राज्य सरकारों के विकास प्रतिष्ठानों जैसे-राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपीडा, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
मौके पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों को बधाई दी और उम्मीद जताई कि इस संयंत्र का भरपूर उपयोग करके बिहार एवं देश के लीची किसानों, उत्पादकों एवं व्यापारियों को आमदनी बढ़ाने में मदद की जा सकेगी।