जगदलपुर, (हि.स.)। दक्षिण बस्तर में नक्सली बाल संगम नामक संगठन का गठन कर छोटे - छोटे बच्चों को उसमें शामिल कर रहे हैं। वे उन्हें मुखबिरी का प्रशिक्षण भी देते रहे हैं और इन्हें इस कला में पारंगत कर उनसे पुलिस मुखबिरी कराते रहे हैं। इस क्रम में कई बच्चों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा है।
हालांकि पुलिस विभाग इनमें से कुछ बच्चों को शिक्षित कर इन्हें जीवन की मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है। कभी नक्सलियों के साथ जंगलों में भटकने वाले और नक्सल गतिविधियों में संलिप्त रहने वाले तीन बच्चे अब दूसरे बच्चों की तरह समाज की मुख्यधारा में जुड़ गए हैं। वे नियमित रूप से अपने वर्ग में जा रहे हैं । कुल मिलाकर आज वे आम बच्चों की तरह हर काम कर रहे हैं और जीवन जी रहे हैं।
इन बच्चों का बाल संघम के सदस्य बम फोड़ने के साथ-साथ पुलिस की मुखबिरी करना सिखाते थे। इन्हें पुलिस पार्टी के आने पर पटाखे फोड़कर अलर्ट करने का काम सिखाया जाता था। कहा जाता है कि एक दफे पटाखे फोड़कर वे भाग ही रहे थे कि पुलिसवालों ने इन्हें पकड़ लिया। आज ये बच्चे न सिर्फ पुलिस की निगरानी में हैं, बल्कि दरभा के स्कूल में इनका दाखिला भी करा दिया गया है। आत्मसमर्पित तीन दंपतियों ने इनकी देखरेख का जिम्मा उठाया है।
गौरतलब है कि ओडिशा सीमा के पास तुलसी डोंगरी नक्सलियों के हेडक्वार्टर के रूप में जाना जाता है। यहीं, चांदामेटा पहाड़ी पर बसे पटेलपारा में बस्तर पुलिस करीब चार महीने पहले सर्चिंग ऑपरेशन पर निकली थी।
पुलिस पार्टी जब पटेलपारा के करीब पहुंची तो कुछ बच्चे दिखे जो पटाखे फोड़कर भाग निकले। पुलिस ने पहले तोे इसे बच्चों की सामान्य शरारत माना, लेकिन वापसी में सर्चिंग पार्टी का एक जवान आईडी ब्लास्ट की चपेट में आ गया।
पुलिस ने वहांं से कुछ बच्चों को भागते देखा । पहले तो उन्हें संदेह हुआ और फिर दौड़ाकर उन्होंने इन बच्चों को पकड़ लिया। पकड़े गए बच्चों की उम्र 8 से 10 साल के बीच है। पुलिस उन्हें पहाड़ी से नीचे कोलेंग कैंप ले आई। यहां उनसे पूछताछ की गई। पर इस दौरान उन्होंने चुप्पी रखी ।