नई दिल्ली,(हि.स.)। रियो ओलिंपिक में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित ओलिंपिक टास्क फोर्स ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में व्यापक सुधार की सिफारिश की है। टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि नौकरशाहों की जगह योग्य पेशेवरों को साई में शामिल किया जाय। साथ ही साई को पूर्ण वित्तीय स्वायत्तता भी प्रदान की जाय।
टास्क फोर्स ने यह भी आग्रह किया है कि मुख्य रूप से पेशेवर और योग्य लोगों को ही अकादमियों को चलाने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए, ओलिंपिक में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने का यही एक तरीका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साईं में सरकारी अधिकारी नियुक्त करने के बजाय संविदात्मक आधार पर पेशेवर और विशेषज्ञ लोगों की नियुक्ति की जाये। साथ ही साई को पूर्ण वित्तीय स्वायत्तता देने की जरूरत है। उन्हें अपने विभिन्न कार्यक्रमों को चलाने के लिए संसाधनों को बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि खिलाड़ियों को केवल 28 वर्ष की आयु तक सक्रिय माना जाना चाहिए। बाद में उनकी राष्ट्रीय रैंकिंग के आधार पर उन्हें कोच या रेफरी के रूप में नियुक्त कर देना चाहिए।
विभिन्न खेलों में आईपीएल जैसी लीगों के लिए टास्क फोर्स ने स्थाई प्रयास करने के लिए पहले पांच वर्षों के लिए कर छूट की वकालत की है।
सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और खेल मंत्रालय पर होगी। पिछले साल रियो ओलंपिक में भारत की असफल अभियान की वजह से इस टास्क फोर्स का गठन किया गया था। 2020, 2024 और 2028 ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन में सुधार के लिए फोर्स को सुझावों के साथ आने के लिए अनिवार्य किया गया था।
इस हफ्ते की शुरुआत में, आठ सदस्यीय टॉस्क फोर्स, जिसमें अभिनव बिंद्रा, पुलेला गोपीचंद और वीरेन रस्किन्हा जैसे ओलंपियन शामिल थे, ने सरकार को अपनी 144 पृष्ठ की रिपोर्ट सौंपी हैं।। साई के उप महानिदेशक संदीप प्रधान फोर्स के संयोजक थे।