चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पंजाब को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार के साथ हुई बैठक में मांग की कि पंजाब के विकास के लिए केंद्रीय स्कीमों की 90:10 की भागीदारी को बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब को विशेष श्रेणी के राज्यों की सूची में शामिल किया जाए, जिससे पंजाब व इसके सरहदी इलाकों का विकास हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की सरहदी सीमा पर स्थित पड़ोसी देश की तरफ से अख्तियार किए गए रवैये को देखते हुए पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था को और चाक-चौबंद करना जरूरी है। कैप्टन ने बैठक में कई मुद्दों पर पंजाब के हितों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। उसका सीधा प्रभाव पंजाब के सीमावर्ती जिलों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सूबे के साथ-साथ सरहदी इलाके भी पड़ोसी देश की इन गतिविधियों से प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए केन्द्र पंजाब के साथ भागेदारी के रूप में 50:50 के हिसाब से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को बदलकर उन्हें 90:10 की मूल हिस्सेदारी के रूप में लागू करे।
कैप्टन ने कहा कि कई राज्यों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है, जबकि पंजाब उनसे कहीं ज्यादा प्रभावित है। इसलिए विशेष राज्यों की सूची में पंजाब का नाम शामिल किया जाए। इस संदर्भ में पहले ही पंजाब सरकार की तरफ से वह कई बार केंद्र के सामने मुद्दा उठा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सूबे के किसानों के कृषि ऋ ण माफ करने और पराली जलाये जाने से रोकने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने देने की जरूरत है। यह केन्द्र की मदद से ही संभव है। उन्होंने सूबे में गिरते जल स्तर को देखते हुए खेती के लिए सिंचाई के बुनियादी ढांचे के नवीनीकरण पर भी जोर दिया। कैप्टन ने कहा कि सिंचाई के लिए पंजाब में अपनाए जा रहे पारंपरिक तरीकों को बदले जाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च होंगे। सरकार की वित्तीय हालत सही नहीं है, इसलिए केंद्र इस दिशा में भी पहल करे।