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अंतर्जातीय विवाह मामले: सुप्रीम कोर्ट खाप पंचायतों पर सख्त तो केंद्र सरकार से नाराज
By Deshwani | Publish Date: 16/1/2018 1:08:28 PMनई दिल्ली (हि.स.)। खाप पंचायतों के प्रति सख्ती दिखाते और केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी लड़का या लड़की द्वारा अंतर्जातीय विवाह करने या संबंध रखने पर उन्हें सुरक्षा देने का कोई कानून केंद्र सरकार नहीं बनाती है तो सुप्रीम कोर्ट इस बारे में दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि किसी लड़का या लड़की द्वारा अंतर्जातीय विवाह करने पर उसके खिलाफ पंचायतों द्वारा बहिष्कार करना या हमला करना पूरे तरीके से गैरकानूनी है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि किसी भी लड़की या लड़के को अपनी पसंद के अनुसार शादी करने का हक है। उस पर कोई पंचायत, खाप, सोसायटी या मां-बाप सवाल नहीं उठा सकते। कोई भी खाप या पंचायत अपनी मर्जी से शादी करने पर किसी लड़के या लड़की को तलब नहीं कर सकता।
कोर्ट ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहीं एएसजी पिंकी आनंद से कहा कि ये 2010 का मामला है और केंद्र सरकार ने अब तक अपनी राय नहीं दी है। इस मामले में एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन ने कहा कि विधि आयोग ने इस पर कानून बनाने की अनुशंसा की है लेकिन सरकार ने उसे लटकाकर रखा हुआ है।
याचिकाकर्ता शक्ति वाहिनी ने खाप पंचायतों द्वारा फैसला लेने के अधिकार को चुनौती दी है। इसके पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि मानवाधिकार सुरक्षा कानून-1993 को प्रभावी बनाने के लिए दिशा-निर्देश देने की जरूरत है। केंद्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने कहा था कि ऑनर किलिंग कानून संसद के समक्ष लंबित है।
बतादें कि अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने 2010 में कई महिला संगठनों से विचार विमर्श कर प्रिवेंशन ऑफ क्राइम्स इन द नेम ऑफ ऑनर किलिंग एंड ट्रेडिशन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया था।