ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राज्य
अटल को पुराने लखनऊ में भी मिलता था वोट
By Deshwani | Publish Date: 22/11/2017 2:03:57 PM
अटल को पुराने लखनऊ में भी मिलता था वोट

लखनऊ, (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की सौम्यता और उनकी व्यवहार कुशलता का प्रभाव लखनऊ की गलियों में बसी जनता के दिलों पर बड़ा असर डालता था। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि लखनऊ में हर वर्ग के मतदाताओं विशेषकर मुस्लिम और सिख परिवार भी उन्हें अपना मानता था। उनके चुनाव में अपार जनसमर्थन मिलता था। लखनऊ के कई मौलानाओं और मुस्लिम धर्मगुरूओं का अटल से पारिवारिक रिश्ता था। जब अटल लखनऊ आते तो मौलाना उनसे मिलने जरूर आते थे।

 

पुराने लखनऊ में भी अटल को जबरदस्त वोट मिलता था। मतगणना के समय जब पुराने लखनऊ की मत पेटी खुलती थी तो वहाँ पर भी अटल को जबदस्त बढ़त मिलती थी। बाजपेई जब पहली बार लखनऊ से चुनाव लड़ने आये थे तो गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी चारबाग द्वारा राजेन्द्र सिंह बग्गा के नेतृत्व में सरोपा भेंट कर उनका स्वागत किया गया था।

 

जानकारों की मानें तो चुनाव के समय जब अटल जी लखनऊ के कार्यकर्ताओं की बैठक में पूछा कि लखनऊ में सभी घरों में पर्ची बंट गयी है तब कार्यकर्ताओं ने बताया कि अमीनाबाद और पुराने लखनऊ की कुछ गलियों में पर्ची नहीं बंटी है। इस पर अटल बिहारी बाजपेई ने कहा कि अपनी पर्ची और पार्टी का सिंबल सभी घरों तक पहुंचाना चाहिए। कार्यकर्ताओं ने पर्ची पहुंचायी और आशा के अनुरूप उसका परिणाम भी मिला। जिन मुहल्लों में भाजपा का खाता तक नहीं खुलता था वहां पार्टी को जीत हासिल हुई।

 

केन्द्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का परिणाम कहें या प्रत्याशी की लोकप्रियता लेकिन लखनऊ में मेयर के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का रूझान भाजपा की तरफ झूकता दिख रहा है। इसका प्रमुख कारण भाजपा प्रत्याशी की लोकप्रियता व कमजोर विपक्ष का होना भी है।

भाजपा की मेयर प्रत्याशी का आना जाना भी काफी मुस्लिम परिवारों से है। इसका लाभ उन्हें चुनाव में मिलने के कयास लगाये जा रहे हैं। टिकट मिलने के दूसरे दिन ही संयुक्ता भाटिया ने लखनऊ के मुस्लिम धर्मगुरूओं से भेंट की थी। वहीं प्रशान्त भाटिया के साथ भी हबीबुल हसन की भेंट हुई। 

वहीं बसपा के विधानसभा महासचिव मुहम्मद अब्बास, महासचिव शादिक के अतिरिक्त मुस्लिम समाज के हसनैन मेंहदी, गुलाब अब्बास, इमरान मेंहदी, ख्वाजा गुलाम अब्बास, दानिश अब्बास, ताज आलम, जावेद हसनैन व इरफान हैदर सहित कई अन्य प्रमुख लोग भाजपा में शामिल हुए। 

 

भाजपा की मेयर प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया का कहना है कि हमारा सौभाग्य रहा कि हमें अटल जैसे विराट व्यक्तित्व के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वे हर जगह महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कराना चाहते थे। बताया कि मुझे अटल जी के साथ सभी धर्म-सम्प्रदायों के बीच जाने का अवसर मिला। मेरे साथ सभी लखनऊवासियों साथ खड़ें हैं। भाजपा का मूलमंत्र है सबका साथ-सबका विकास। मैं भी उसी मूलमंत्र को लेकर लखनऊ का सर्वांगीण विकास करने को कटिबद्ध रहूंगी।

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS